Monday 28 August 2017

Be Parwah Ishq (बे-प्रवाह इश्क़) POEM NO. 231 (Chandan Rathore)



POEM NO . 231

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बे-प्रवाह इश्क़
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तम्मनाओं की बंदिशों में बंद गया था
एक मोड़ पे कही में तुझसे जुड़ गया था
बदलते मौसम मेने देखे थे हजार
जब वो आया तो बदला सारा इंतजार

हमें हसीं आई थी जब वो रोया था
हमारी सुख भरी कहानी सुनकर
पत्थर दिल भी हमारे आगोष  में खोया था

अब क्या बताये क्या सुनाये उस पत्थर की दास्तां
खुद बन गया मूरत और कह लाने लगा भगवान
दर्दे शब्दों को पढ़कर दिल भी क्या रोया था
दिल था कमजोर जट से तड़प कर वो क्या खूब सोया था

उसके आंसुओ से निकलता रहा नाम मेरा
इतनी बारिश हुई उसकी पंखुड़ियों सी आँखों में
सारा जहान तर बतर हो गया था, उसके आंसुओ में
वो क्या अजीब शख्श  था, सूखे में उसने पुरे जहान को भिगोया था  


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

7:36 PM 24/06/2014
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂ 

Wednesday 19 July 2017

Mrat Kaaya Ka Rodan (मृत काया का रोदन) POEM NO. 230 (Chandan Rathore)



POEM NO . 230

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मृत काया का रोदन
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मृत काया के लिए हुआ आज फिर करुणा मय रोदन |
छोटे छोटे बच्चों की आशाओं का हुआ शोषण ||

रूठ गए जग छोड़ गए वो, अब कुछ ना रहा कृन्दन |
लोग करे समाज करे, बस बेमेल बिन वजह चिंतन ||

उठा कर काया बच्चों ने उनको खूब सत्कार दिया |
अर्थ ना जाने वो बालक, जिन्होंने अंतिम संस्कार किया ||

धर्म कर्म सिखलाने वाले ऐसे क्यों तूने जीवन त्याग दिया |
हसीं ख़ुशी लाने वाले ये बिछडन क्यों हमारे नाम किया ||

तुम आते तो हम खाते तुम खिलाते तो हम खाते |
अब तुम्हारे बिन ओ !! पिता श्री कैसे कटेगी ये रातें ||

मृत काया का दर्श ना होता, जीवन का कोई अर्थ ना होता |
जीवन भर जिसके लिए जिए थे , वो ही जला देता है चिता ||


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

04:28pm, Sun 22-06-2014
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂