Wednesday 28 August 2013

Bhaktiras Pyasi (भक्तिरस प्यासी) Poem No. 123 (Chandan Rathore)


Poem No.123
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भक्तिरस प्यासी 
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एक टक निहार  रही  प्यासी 
तुझे पाने को आतुर है प्यासी 

वस्त्रो का ध्यान नहीं उसे 
जैसे हो बहुत बड़ी सन्यासी 

कांटो को ना देख रही
ना देख रही राह के पत्थर 
एक टक लगाया दौड़ पड़ी प्यासी 

चल पड़ी मीलों मगर 
कही ख़त्म होता दिखता नहीं  सफ़र 
बस मुरली की धुन पे दौड़ी  जा रही प्यासी 

ऐ ! मुरली मनोहर कहा हैं 
ऐ ! मुरली मनोहर कहा हैं 
ये जोर जोर से चिल्लाती 
जैसे कोई मछली जल की हो प्यासी  


रो रो कर हाल बुरा बना डाला
गिर-पड़ कर सारा बदन छिला डाला 
फिर भी आश कम  नहीं  है 
हाथ उठाये आज भी भुला रही प्यासी 

गोपियों के संग रास रचाता 
मंद मंद मुस्कुराता मेरा मोहना
एक दिन उसके संग भी नाचेगा 
इसी आश में अब तक नाच रही प्यासी 

"जय श्री कृष्णा"
"राधे राधे" 


आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

01:52am, Sun 21-07-2013

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Tuesday 27 August 2013

Robo ''ROBOT'' ( रोबो (रोबोट)) Poem No. 122 (Chandan Rathore)


Poem No. 122
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 रोबो (रोबोट)
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एक कल्पना
एक यातना

एक परछाई
सागर की गहराई

एक सुन्दर स्वप्न
बिता हुआ बचपन

एक प्यारी सी लहर
जेसे बाड़ का कहर

सुबह की नई उमंग
आगे बढ़ने की तरंग

एक नया अहसास
एक अटूट विश्वास

खिल खिलाती हँसी
आवाज मधु के जैसी

ख्वाबों का सेलाब
बनता हुआ ख्वाब

मेरी वो  मन्नत
एक सुन्दर जन्नत

एक कहानी
एक निशानी

एक सोच
एक सच

एक मन-मोहिनी
एक दिवानी

ठंडी ठंडी पुरवाई
कैसे खुदा ने बनाई

एक याद
एक फ़रियाद

एक अति
एक गति

एक सारांश
एक निष्कर्ष

ऐसा है मेरा रोबो . . . 

Do u know?
:C' '

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

12:29am, Fri 05-07-2013

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Saturday 24 August 2013

Dil Bhar Aaya Hoga (दिल भर आया होगा ) POEM No. 121 (Chandan Rathore)


Poem No.121
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दिल भर आया होगा
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थाम कर ऊँगली जिसे चलाया होगा
आज जब दिखाई उसने ऊँगली तो दिल भर आया होगा

खुद जोकर बन जिसे जोर जोर से हँसाया होगा
आज जब उसने रुलाया तो उनका दिल भर आया होगा

बचपन से जिसे पलकों पे बिठाया होगा
आज उन बचपन की यादो ने क्या खूब रुलाया होगा

जिसके पैरों में फुल बिछे रहते हर पल
आज जब उसने शब्दों का बाण चलाया तो दिल भर आया होगा

कंधे पे बिठा कर जिसे पूरा जहाँ दिखाया होगा
आज खुद को अकेला पाकर
उनका दिल भर आया होगा

हर मुश्किलों को खुद सहन कर उसे  मंजिल तक पहुँचाया  होगा
ऐ !  खुदा आज उसकी कामियाबी ने उनको क्या खूब रुलाया होगा

जिसने उसे बोलना सिखाया होगा
जिसने उसे रोते हुए हँसाया होगा
आज जब बोला  वो अश्कों  की बारिश हो रही थी
आज फिर बिन मोसम सावन आया होगा
आज फिर बिन मोसम सावन आया होगा



आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

10:43pm, Sun 30-06-2013

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Thursday 22 August 2013

Ase Jao naa tum (ऐसे जाओ ना तुम) POEM No. 120 (Chandan Rathore)


Poem No.120
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ऐसे जाओ  ना तुम 
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अभी जाओ ना तुम
इतना सताओ ना तुम  
हिम्मत रखो और बढ़ो 
साथ को अधुरा छोड़ो ना तुम 

मुझे हँसाते थे तुम 
मेरे हर  दुःख  का   हिस्सा बन जाते  तुम 
आज कैसी ये जुदाई दे  रहे  हो  तुम 
बीच राह में  ऐसे छोड़ो ना तुम 

तुम तो थे हमदम मेरे
कितनी  उब्लाब्दियाँ  थी  तुमसे 
कोन रखेगा  ख्याल  मेरा 
अब  ऐसे  रुलाओ ना तुम 

ख्यालों  में तुम्हारे  हर  दम  में था  
फिर  कैसी ये जुदाई को अपना रहे हो तुम 
मै अकेला ना जी पाऊंगा इस जहाँ  में  
छोड़ कर जालीम दुनिया के भरोसे 
ऐसे जाओ ना तुम 


आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

12:49 AM 28/06/2013

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Wednesday 21 August 2013

Dil Ki Berukhi (दिल की बेरुखी ) Poem No. 119 (Chandan Rathore)


POEM No. 119
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दिल की बेरुखी
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दिल की जुबान कोई समझा नहीं
दिल से दिल किसी ने लगाया नहीं

हर बार धोखा खाते हैं हम दिल से
हर मौड़  पे दिल साथ देता नहीं

हर राह मिलाता हर जगह दिल लगाता
ऐ दिल संभल अब तो तू नहीं तो मैं नहीं

दिलों  के मेहखानों में हमदर्द कम हैं
हर दर्द की आँखे भी देखों  नम हैं

हर काफिलें तुझसे हैं चलते
तुझ पे ख़त्म होने को
सब दिल से बेगर हैं हो जाते, जो दिल को समझते नहीं

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

01:25am, Fri 28-06-2013

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Thursday 15 August 2013

Jaaogi Naa Ek Din (जाओंगी ना एक दिन) Poem No. 117 (Chandan Rathore)



POEM No. 117
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जाओंगी ना एक दिन
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तेरे ख्यालों की जुगल  बंदी में
तेरे अल्फाजों की बंदिशों  में
शुरूवात-ऐ-मोहोब्बत जब खत्म हुई
जब मेरी जगह नहीं  थी तुम्हारे दिल में

तुम जाओंगे ना एक दिन
तुम मुझे भुलोंगे  ना एक दिन
मै  कैसे पुकारूँगा तुम्हें
जब मेरे दिल को चीरते हुए निकल जाओंगे  ना एक दिन

अपने प्यार का रंग चढ़ा  हैं
खाली मुझ पे वो चढ़ा हैं
खाली सी होली खाली सी दिवाली हैं
तेरे बिना अब कैसी  मेरी जिंदगानी हैं

लग जायेंगी  सावन की जड़ीयां    
गिर जायेंगे पेड़ों  से सारे पत्ते
जब तुम मुझेसे बिछड़ जाओंगे
तुम बहुत पछताओंगे जब मुझे
मौत के घाट   तुम उतार दोगीं   

क्यों एक दिन जलाओंगे ना मुझे 

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

02:29pm, Mon 17-06-2013

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Tuesday 13 August 2013

23 Janam-Divas (23 जन्म-दिवस) Poem No. 116 (Chandan Rathore)


POEM NO. 116
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23 जन्म-दिवस 
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बधाईया भी कोई खास नही
आज नया कोई ऊलास  नही 
कट रही शांत ये जिन्दगी 
उसमे कोई नई बात नही 

चुप हूँ आज कोई नई तमन्ना नही 
ख्याल बहुत है पर कोई अरमान नही
गुमनाम हो रही जिन्दगी मेरी 
नई उमंगो का कोई उसमे सेलाब नही 

पानी की तरह बह रही है जिन्दगी 
पर उसमे कोई उबाल नही  
अकेला नही हूँ पर महशुस करता हूँ  अकेला
दोस्तों की भीड़ है बहुत पर उसमे कोई साथी नही

बेइन्तिहा महोबत थी दुनिया वालों से  
आज लोगों की भीड़ से वो प्यार नहीं
अकेला रहना चाहता हूँ मै
अब तुमसे कोई एतबार नहीं  


आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

08:44am, Thu 13-06-2013

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Friday 9 August 2013

Jab Tak He Jaan Part 2 (जब तक है जान भाग २) Poem No. 113 (Chandan Rathore)


POEM No. 113
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जब तक है जान भाग २
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लहर लहर लहरे पानी की वो लहरे 
वो पानी की गहराई दोस्तों की दोस्ती के वो किस्से 
वो यो यो का माहोल वो हँसी ख़ुशी के ठहाके 
कभी भुला ना पायेगे हम 
जब तक है जान जब तक है जान    

वो उनका पानी से प्रेम 
वो नहाने की उमंग
वो ट्यूब को डूबना
वो एक दूसरे को पानी के बीच में छोड़ के आना 
हमेशा हँसते रहना 
जब तक है जान जब तक है जान    

वो दो सूखे  पेड़ो  की वादी
वो दूर तक पानी की रवानी 
वो सड़ी-गली डिस्पोजल का देना 
वो एक दूसरे पर पानी का फेकना 
वो पल कभी ना भुलूंगा मै
जब तक है जान जब तक है जान

वो पहाडियों की वादियाँ 
उनमे वो अकेले अकेले बाइक का चढ़ाना   
वो ट्यूब  के साथ मस्ती 
हमेशा याद रखूँगा मै 
जब तक है जान जब तक है जान


आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

9:35 AM 06/07/2013

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