Friday 25 April 2014

Hisse me Mere Judai (हिस्से मै मेरे जुदाई ) POEM No. 167 (Chandan Rathore)

POEM NO. 167
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हिस्से मै  मेरे जुदाई
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ना अरमानों कि बारिश थी 
ना कोई और गुजारिश थी 
हम निकल गये थे घर से पर  
ना कोई सामने और मंजिल थी 

सोच कर सोचा फिर भी ना कोई फ़रमाईश थी 
डूबना चाहा समंदर में , उसकी भी कम गहराई थी 

कोई सपना बचा नही था 
जिसे बर्बाद ना किया हो उसने 
हर बार मुझे हराने में लगी थी 
मुझे ख़त्म करने कि उसकी भी ख्वाइश  थी 

मंजिले निकली  जा रही थी 
रास्ते खोते जा रहे थे 
में रोज नए रास्ते पे चला जा रहा था 
सब मंजूर किया क्यों कि उसे जो अपनानी थी 

आकर मेरी बगियाँ में बर्बाद कर दी बगियाँ मेरे मन की 
सर्वनाश कर दिया था मेरे विचारों का खत्म हुआ जीवन 
चार जन के कंधे पर उठ के गाजे -बाजो से आज मेरी विदाई थी 
मै नही हूँ तेरा और ना ही दुनिया का बस हिस्से मै  मेरे जुदाई थी 


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

8:29 PM 08/12/2013
(#Rathoreorg20)

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Thursday 17 April 2014

Me Naa Rahu To (मै ना रहू तो) POEM No. 166 (Chandan Rathore)


POEM No. 166
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मै  ना रहू  तो 
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मै  ना रहु इस जहाँ में तो 
मेरी  कमी महसूस करना 

याद आये मेरी अगर तो जोर जोर से हँसना 
मै रोते हुये चला आँउगा बस मुझे हँस के तुम बुलाना 

तड़पो अगर मेरी आवाज सुनने  को तो 
शांत बैठ कर सारी आवाजों को महसूस करना 

बिन सोचे  में आऊंगा तेरे हर गम को ले जाऊँगा 
बदले में तुझे ढेरों खुशिया दे जाऊँगा 
में ना रहु इस जहाँ में तो 
मेरा इंतजार जरूर करना 

पढ़ने का मन करें मुझे 
मेरी कविताओं  के हर एक शब्द का आनन्द लेना 
समेटना हो मुझे किसी में तो 
मेरे हर रचना के आँशुओँ को समेटना  

मै आऊंगा लोट कर किसी और शरीर में 
बस मुझे हर चेहरे में देखना 
मै ना रहु इस जहाँ में तो 
मेरी कमी महसूस करना 



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

8:18 PM 08/12/2013

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Wednesday 9 April 2014

Ek Prathna (एक प्रार्थना) POEM No. 165 (Chandan Rathore)


POEM NO. 165
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एक प्रार्थना 
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शुभसंध्या  सर ,

अब देश बदल दो
हर जन कि ये पुकार है

चीख रहे है यहाँ भूखे बच्चें
कितने यहाँ बेघर गम रहे है बच्चें
कई तो पढ़ने के लिए आतुर है
सभी पीड़ित जन कि ये ही पुकार
अब देश बदल दो, अब देश बदल दो मोदी

हो रही यहाँ जनता परेशान
महंगाई ने निकल रखी है जान
करप्शन को तो उस पर बड़ा अभिमान
अब ख़त्म हो बेरोजगारी का नामो निशान
बस अब देश बदल दो मोदी , अब देश बदल दो

रो रही जनता पुकार रही बस मोदी
सब आप के हाथ में कल सुबह उनकी थाली में रोटी होगी
देश बचालो मोदी जी देश बचालो 

ये मेरी नही देश कि आवाज है 
अब रुकना नही सब को खुश कर दो सर 

इतना फेला दो कि अपनी आवाज मोदी जी तक पहुँचे....... 



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

08:09pm, Sun 08-12-2013

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Saturday 5 April 2014

Raanjanaa (रांजणा ) POEM No. 164 (Chandan Rathore)

POEM NO. 164
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रांजणा 
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एक दिल मारे उछाल ओये क्या कहना 
जब तू दिख जाए तो नैन मुस्कुराये क्या कहना 
मै  हुआ रांजणा मै  हुआ रांजणा 

मन दौड़े जैसे  कोई मृग  हो 
प्रीत कि उमंग जैसे कोई रस रंग हो 
ह्रदय सुर में गाये जेसे कोई म्रदंग हो 

नयन जैसे  झरना हो अश्कों का 
होठ जैसे हर पल मुस्कुराये 
गीत हो जैसे संगीत में 
प्यार हो जैसे मंजीत में 
मै  हुआ रांजणा मै  हुआ रांजणा 

स्वप्न में वो आती बस 
निंदो में वो समाती बस 
रूठी हुई महफ़िल में भी वो मुस्कुराती है 
मै उसकी धुन में मिलो दौड़ पड़ता हूँ 
मै  हुआ रांजणा मै  हुआ रांजणा मै  तो 


रांजणा बन बन मै फिरू
प्यार में नाचू और सबको नचाऊँ 
मेरी सोच में सब है  रांजणा 
मै  हुआ रांजणा मै  हुआ रांजणा मै  तो 


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 
8:06 PM 08/12/2013

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