Friday 31 May 2013

KAVY SUMAN (काव्य सुमन ) Poem No. 100 (Chandan Rathore)


POEM No. 100 
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काव्य सुमन 
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पहले अर्पण उसको करू ,  जिसने  ख्याल है मन में ड़ाला
भावो से भरी गाड़ी को , कैसे उसने अब तक संभाला
राठौड़ करे प्रार्थना , संभालना अब तुम्हारे ये सुमन 
प्रणाम  है भगवान तुमको ,चरणों में आपके है काव्य सुमन  ॥ 1 ।।

कविता की व्याथा है ऐसी , जो पिये उसको वो झूमे  मतवाला  
कवि की कल्पना है कविता , उमंगों की लता है कविता 
कवि का आनंद है , ममता की प्यासी है कविता 
कवियों की अभिलाषी हैं , कवि का सिर मोर है कविता ॥ 2 ॥

कवि के मुख से निकलें, उमड़ते  हुए भाव है कविता 
सुरों से संभाली जो जाती , छन्दबद्ध  शब्दों की माल है कविता 
कवि  का ह्रदय जो होती , उसका प्यार ,दुलार,श्रृंगार है कविता 
विचारों की झाड़ियाँ जो होती , कवि  की ममता , करुणा  और साहस  है कविता  ॥ 3  ॥ 

जब लीन हुआ कवि विचारों में , उसके विचारों का समूह है कविता 
उसके मन का क्या कहना , उसका निर्मल मन भी है एक कविता 
जब कोई साथ ना होता तो , उसके दुखों  का साथी है कविता 
लिखने जब बैठे अपनी भावना , उसके प्रस्फुटित भावना है कविता ॥ 4 ॥ 

कवि का रुखा-सुखा जीवन , उजड़े जीवन की नई रह है कविता 
उस पे जो बिता वो भूल गया , उसकी स्मरणीय यादे है कविता 
यहाँ वहाँ की दो बातें क्या हुई , उसकी काल्पनिक छाया है कविता 
दुनियां की सब कलाओ में , सबसे सर्वश्रेष्ठ कला है कविता ॥ 5 ॥

पूरा पढने के लिए इ-मेल करे - rathoreorg20@gmail.com 

In English


Do it before the cession, who tore care in mind
Cart full of emotions, how he handled so far
Rathore to prayer, now you handle these flowers
Hail to thee God, the Kavya Suman your feet. || 1 ||


That is the definition of poetry, which she danced her drunk
Imagination of the poet's poem, poem brings out passions
Enjoy poet, is thirsty of love poetry
Who want to poets, poet, poetry peacock's head. || 2 ||


Exit to the home of the poet, poem is overflowing with expressions
Recommended that took overtones, poetic words that poem goods
Is the poet's heart, his love, affection, make up poem
The showers are ideas which, the poet's love, compassion and courage poem. || 3 ||


When the poet was absorbed in thought, his ideas poem group
What to say of her mind, her mind is pure poem
If someone is not there, it is a poem of sorrow partner
Write your feeling when sitting, feeling his poem efflorescent. || 4 ||


The poet's stern - baked life, a new way of desolate life is  poem
That got him on the past, the memories of his memorable poem
Here's what two things today, his imaginary shadows poem
All of the world in the arts,  the best art is poem   ||  5 ||




आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़



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Sunday 19 May 2013

MOAT SE MILAN (मौत से मिलन) Poem No. 99 (Chandan Rathore)


POEM No. 99
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मौत से मिलन
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दिप से प्रज्वलित ,वो ज्वाला हो
मन से जो निकले, वो शब्द एक हाला हो

हम तुम एक दुसरे में खो जायेंगे
बस तुझ से मिलन, मेरा लिख डाला हो

हर शख्स जब आंसू बहाये
ऐसी कोई मेरे जीवन की बेला हो

आम दिन अँधेरा रहे
और उस दिन ,क्या खूब उजाला हो

शांत रहे जीवन में
और उस दिन ,मंगल गाती बाला हो

सब बिछड़े ,जब में बिछड़ा
बह रहा जीवन मेरा ,जैसे कोई नाला हो

हर गडी दे रही, संकेत मुझे
मेरे दुःख जैसे ,गले की कोई माला हो

काम बड़ा है, नाम बड़ा है
बस कोई तो मुझे, सुनने वाला हो
बस कोई तो मुझे, सुनने वाला हो
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़

9:39 PM 17/05/2013
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Teri khushi ke khatir Poem No. 98 (Chandan Rathore)



Poem No. 98
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Teri khushi ke khatir
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mere karmokarm a dost
tu murja jaata aane se mere
bas me isliye nhi aati

a dost mere name ko itni tavju na do
tu dekh kar online muje sahm jaata he
bas me isliye online nhi aati

tere gamo ki jad hu me
teri khusiyo ki aadh hu me
sach batau
bas isliye me clg nhi aati

khushi me kese du tumhe muje samj nhi aata
jab khuda ne apni kahani hi adhuri bani  he
tuje khushi dene k khatir
bas  me isliye nhi aati

jab saamne aati hu to dukhi ho jate ho
muje pata he tum kitna pyar karte ho
par tum khush raho
isliye me samne nhi aati

mera hona ya naa hona dono jab dukhi karta ho
ab tumhi batao kya kasur hoga mera
or tum kahte ho
tum kyo nhi aati ho

tere hi khatir me tere pass nhi aati
tu khush rahe
isliye me nhi aati

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़
(Facebook,PoemOcean,Google+,Twitter,Udaipur Talents, Jagran Junction)

07:57pm, Wed 15-05-2013

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Saturday 11 May 2013

MAA TUJHE SALAM (माँ तुझे सलाम . . .) Poem No. 97 (Chandan Rathore)


POEM No. 97
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माँ तुझे सलाम
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जो मुझे उठा कर आसमान की सेर कराती
मुझे देख कर उसके होटों  पे मुस्कान हैं  आती
मै जब लोटता हूँ शहर से तो मुझे देख आंसू बहाती
हर दम खुदा से मेरे लिए दुआँ  जो करती

मेरे लिए दुनिया से वो भीड़ जाती
हमेशा  वो मेरे आगे चलकर मेरे हिस्से के आंसू बहाती
जब खेलती है मेरे साथ तो खुद बच्चा बन जाती
जब होता हूँ  उसके साथ तो मुझे हर ख़ुशी  वो दे जाती

आज अकेला हूँ मैं फिर भी उसकी दुआँ  है साथ मेरे
मैं कभी पीछे ना हटा हूँ क्यों की उसका आशीर्वाद साथ है मेरे
आज दिन है मातृ दिवस , याद कर लो अपनी माता को
आज अगर वो ना होती तो ,कैसे याद करते अपनी माता को

बचपन  में माँ  ने कितने दुःख जेले अपने लिए याद नहीं होंगे  किसी को
पेट में मारी होगी कितनी लाते , उसे भी ख़ुशी-ख़ुशी सह जाती थी माँ
जब करते थे गिला बिस्तर उसे अपने हाथों से धोती और सुखाती थी माँ
जाना होता स्कुल तुझे और 5 बजे  उठ जाती माँ
कोई चीज  अगर तेरी घूम हो जाती तुम खूब चिल्लाते  अपनी माँ पे
चुप-चाप सह जाती माँ

बड़ा हुआ काबिल  बना तुमने बाहरी दुनिया में मन लगाया तुम खुश पर अकेले में आंसू  बहाती माँ
शादी  हुई बहु आई कितनी खुश थी माँ , आज बेटे के तेवर देख सहम जाती माँ

माँ ना जाने  किस पत्थर से बनाई  है भगवान  ने
कितना  कुछ   सहती है फिर भी हर दम मुस्कुराती है माँ

माँ तुम हमेशा हंसती  रहना
माँ तेरे जैसी  मुझे भी सहन सकती देना
माँ बस तुम खुश रहना
माँ बस तुम खुश रहना

विश्व मातृ दिवस की ढेरो  बधाई

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़
(Facebook,PoemOcean,Google+,Twitter,Udaipur Talents, Jagran Junction)

 8:25 AM 12/05/2013
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Thursday 9 May 2013

MAHNGAI (महंगाई) Poem No. 96 (Chandan Rathore)

POEM NO. 96
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महंगाई
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हर कदम पे जिसने पैर पसारे
गरीबो के जिसने सपने मारे
पापी पेट की ये कठनाई
हाय रे ये महंगाई

छीन लिए ख्वाब हमारे
सभी इससे परेशान प्यारे
बहुत दूर होगी अब मुह से मिठाई
हाय रे ये महंगाई

गरीब की रोटी पे केसी ये लाचारी
घी की खुशबु तो पता नही कब आई
सरकार खजाने भरकर ये सरकार ने केसी मोज उड़ाई
हाय रे ये महंगाई

अब तो लगता हे खाने पे भी लोन मिलेगा
हर किरणे की दुकान के बहार security गार्ड मिलेगा
सोना, चांदी तो देखने के हे अब तो
तेल घी प्याज लहसुन का शोरूम मिलेगा

केसी सरकार की ये लाचारी हे
महंगाई सिर्फ गरीबो पे ही क्यों आई हे
सब में लगे हे वेतन आयोग
पर जब आज भी काम मांगने जाओ तो
3 -4 हजार की नोकरी ही हात आई है
वा री वा क्या चली पुरवाई हे
हाय रे ये क्या महंगाई आई है

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़

7:53 AM 10/05/2013
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Tum Ajib Ho . . . Poem No. 95 (Chandan Rathore)


POEM No.95
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TUM AJIB HO . . .
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tum dukh me kese muskura lete ho
tum mujse najre kese chura lete ho
me diwana tere isq ka
tum mujse duri kese bana lete hooo

me kitna khayal rakhta hu
tum muje kitna rulate ho
me karta hu tumse mere dukh ki baate
or tum usme bhi mushkura kese lete ho

tadpta huaa chala aata hu tumhare paas
or tum mushkurate huye chali jaati ho
dard mera had se jyada badh gya
tum in haalat me bhi kese mushkura lete ho

ajib ho tum or ajib tumhari wo baate
ab to khatm hi hogai meri sikayte
sare bandhan ko jab ek hi alfaj me todte ho
dil se batana ,tum kese sahn kar lete ho

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़

9:04 PM 08/05/2013
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Jindgi ka Khalipan (जिन्दगी का खालीपन) POEM no. 94 (Chandan Rathore)



Poem No.94
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जिन्दगी का खालीपन
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जैसे बिना पानी के नाली हो
जैसे बिना भोजन के थाली हो

जैसे बिना महफ़िल के ताली हो
जैसे बिन पठाखा दिवाली हो

जैसे बिना घर के घरवाली हो
जैसे दुल्हन कोई नखरेवाली हो

जैसे बिना शादी के साली हो
जैसे भरी महफ़िल में गिलास खाली हो

जैसे सूखे में ख़त्म हुआ पानी हो
जैसे पतझड़ में सुखी पेड़ की डाली हो

जैसे राजस्थान without पाली हो
जैसे उदयपुर बिना हरियाली हो

कब तक जियेंगे ऐसी जिन्दगी
जिसमे सब होते हुए भी वो खाली हो

आपका शुभचिंतक
लेखक : - चन्दन राठौड़

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Friday 3 May 2013

Ab Naa Rahna (अब ना रहना ...) Poem No.93 (Chandan Rathore)


POEM No.93
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अब ना रहना ...
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ओ मेरे खुद उठा ले
अब ना रहना मुझे इस धरा पे
कैसे जिऊ कैसे मैं काटु अपना जीवन
ऐ खुदा तू बुला ले
अब ना रहना  . . .
अब ना रहना  . . .

होता है यहाँ पे नारियों का अपमान
उसकी लज्जा तो बचती नहीं
अब तो बच्ची भी सुरक्षित नहीं  हे !  भगवान
सुन ले मेरी एक फरमाइश ऐ खुदा
तू बुला ले ....
तू बुला ले ....

कितना दर्द देता है तू जहाँ
मिलता नहीं है किसी को इंसाफ
सुन ले जरा तू मेरी ये दुहाई
सुला दे मुझे . . .
सुला दे मुझे . . .
अब ना रहना इस धरा पे

क्या चाहता है तू ऐ खुदा
क्यों जुल्म दिखा रहा ऐ खुदा
ऐ खुदा पत्थर दिल ही बना देता
तो किसी का दर्द अपना ना लगता
अब दे दे रिहाई इस जालिम शरीर  से

मुझे अब ना रहना इस धरा पर
मुझे अब ना रहना इस धरा पर

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़

5:30 PM 03/05/2013
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Wednesday 1 May 2013

Bas Kaafi he . . . (बस काफी हैं . . .) Poem No.92 (Chandan Rathore)


Poem No.92
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बस काफी हैं . . .
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तेरी नफरते ही हमारी सोहरते हैं,अब क्या मांगे तुझसे
तेरी एक मुस्कुराहट ही काफी हैं ,हमसे दूर होने को

तेरा heat (नफरत) ही काफी हैं हमसे प्यार करने को
आप की ना ही काफी हैं हमको ख़ुशी देने को

आप हमसे नफरत करते जाए
वो ही काफी हैं हमारी मदद करने को

आप की बातों में मज़ा आँखों में नशा
सरारतों में अदा, ना बोल कर तडपाने की सजा

हँसकर हमें मनाने की वजा
रोते हुए छोड़ कर जाने की अदा
काफी हैं हमें घायल करने को

जिद बहुत कर ली मैने , अब कोई रास्ता भी नहीं बचा
आँखों के झरोखे सुख गये अब कोई वजह नहीं हैं हँसने को


आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़

4:08 PM 01/05/2013
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