Thursday 22 January 2015

Ek Praskar (एक पुरस्कार) POEM NO. 220 (Chandan Rathore)



POEM NO. 220
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एक पुरस्कार
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कोख में बैठा एक नन्हा सा पुरस्कार
मत कर ऐ इंसान उसका तू तिरस्कार

आने दो उसे आसमान तक छाने दो उसे
कोख में ही मार दिया तो तुझ पे है धिक्कार

भगवान की हर बात कबूल कर ऐ प्राणी
वो बेटी होगी या बेटा ये जान ने का तुझको क्या अधिकार

बेटी होगी लक्ष्मी होगी माँ बन कर तू भी धन्य होगी
तेरी खामोशी की वो होगी आवाज बस तू उसको ना मार

क्यों करती है बेर तू उस से वो भी तेरा अंश है
बोल री तुझको मारने का क्या है अधिकार

सोच कर क्या सोचती हो पगली पैदा होने का दे उसे भी अधिकार
तेरा बेटा प्यारा बेटा पर बहु बिना वो भी तो बेकार


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

10:07am, Mon 26-05-2014
(#Rathoreorg20)
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Monday 12 January 2015

Maharana Partap (महाराणा प्रताप) POEM NO. 219 (Chandan Rathore)


POEM NO. 219
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महाराणा प्रताप
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वो महाराणा हो वो प्रताप हो
वो देश रा राजपूता रो मान हो

आन, बान, हिंदुत्व की शान हो
मेवाड़ रो वो प्रताप हो

लड़ियों गणो, वो सहियो गणो
वो हल्दीघाटी रो जिवंत प्राण हो

उदयपुर री गाथा में वीरता रो प्रमाण हो
राजपूता रे सम्मान रे खातिर लड़ियों वो राजपूता रो भगवान हो

वो महाराणा हो वो तो प्रताप हो
वो झुकियो नही, वो भाग्यो नही
वो तो रण में एक्लो ही तीर कमान हो

तलवार लागि भाला लागिया वो पुरो लहूलुहान हो
मेवाड़ मुकुट री लाज बचावण ने वो हर घर रो गुमान हो 

गूँज रही चेतक रे पग्लिया री आवाज
हल्दीघाटी में हो रहियो हाहा कार आज
वो बलिदान रो बलिदान मेवाड़ी सरदार हो

गर्व है माने राजपूता रा बलिदाना रो
अब घर घर गूंजे प्रताप रो नारो
मेवाड़ धन्य है जो जन्म होयो यहाँ महाराणा प्रताप रो

बोल रही प्रताप री बोली याद करो थे प्रताप को
सत सत नमन मारो, महाराणा प्रताप को



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

5:51 PM 25/05/2014
(#Rathoreorg20)
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Monday 5 January 2015

Mewad Ro Mukut (मेवाड़ रो मुकुट) POEM NO. 218 (Chandan Rathore)


POEM NO. 218
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मेवाड़ रो मुकुट
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कुम्भलगढ़ में जन्म लियो
उदय सिंह जीवत रो लाल कह लायो

शौर्य,पराक्रम, मान्धिन, गौरवशाली मानव वो कहलायो
शौर्य पुत्र प्रताप रो चेतक ने भी क्या खूब साथ निभायो

हल्दी घाठी  री गाथा भी अमर रही
सलीम ने घायल कर युद्ध सु भगायो

मेवाड़ रो मुकुट बचावण ने मन्ना जी भी प्रताप रो साथ निभायो
लहूलुहान प्रताप फिर भी रण में आपणो परचम लहरायो

मन्ना जी ने प्राण त्याग दियो
प्रताप ने घर त्याग दियो

वन में घास फुस रो रोटो खायो
अरावली री पहाड़िया मायने आपणो आवास बणायो

धर्म और समाज के खातिर सब त्याग दियो
उदयपुर बणी रजधानी प्रताप रे 24  वर्षा रा
शासन मायने मेवाड़ रो सदा नाम ऊचो रखायो

ऐसा वीर की महिमा जब कागज पर उतरी तो
वो उदय सिंह रो पुत्र महाराणा प्रताप कहलायो


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

5:00 PM 25/05/2014
(#Rathoreorg20)
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