Wednesday 12 August 2015

Dohawali Part 2 ( दोहावली भाग 2) POEM NO. 228 (Chandan Rathore)


POEM NO. 228
--------------
दोहावली भाग 2
---------------

चन्दन हुआ 24 का, मन में ना राखे पाप |
अब तोसे का छुपाऊ, मन नाप सके तो नाप || 11 ||

चन्दन खुशबु में नही, खुशबु है चन्दन माय  |
दौड़ दौड़ मृग ढूंढे, खुद उसे ना खुशबु मिल पाय || 12 ||

राख में पड़ा चन्दन, अश्तियों को खुशबु देत |
बिना काज मानव नही, जैसे बिना पानी के रेत || 13 ||

सुखा पड़ा है चन्दन, घिस सके जितना घिस |
मंदिर बाहर आश्रम है, फिर भी सोये तोहरे शीश || 14 || 

चन्दन करता अभिनन्दन, मानव दिवस कई अपार |
सोवत सोवत वर्ष बिट गये, अब तार सके तो तार || 15 ||

चन्दन चन्दन सब करे, चन्दन बने ना कोई |
चन्दन घिस घिस कर भी, चन्दन तोरे माथे सोहे || 16 ||

कट गयो चन्दन राजा ने बचवन ने
घिस गयो चन्दन तोरे शीश सजवाण ने
हवन,पूजा, अर्थी सजे, तोरे मान बढ़ावन ने
चन्दन चन्दन कई करे, कब पहचानेगा चन्दन ने || 17 ||

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

11:49 AM 19/06/2014
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂