Saturday 27 April 2013

MARD (मर्द) Poem No.91 (Chandan Rathore)


Poem No. 91
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मर्द
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कहाँ हैं वो मर्द, कहा है वो हमारे हमदर्द
कहाँ हैं वो दरिन्दे ,जो दे रहे हैं अपनी बहनों को दर्द

जो बन गये हैं हमारे दुश्मन, बचाने अब हमें आएगा कोनसा मर्द
कोन आता हैं होश में और देखना है अब कोन बनता हैं सबसे पहले मर्द

छुप रहे हैं घरों में अपने , इंतजार हैं क्या अपने पे बितने की
कब जागोंगे और कितना भागोंगे , सीमा भी पार कर ली अब तो जुल्मो की

आश ना रखों अब बिके हुए इंसानों से
बन जाओ मर्द और निकल जाओं आशियानों से

खुबसूरत बनाना हैं समाज तो, हमें आगे आना होगा
कर रहे समाज को जो गन्दा ,उन्हें आज हमें मिलकर हटाना होगा

बनों नोजवान तुम ना घबराओ अब इन भुत पिसाचों से
कब तक डरोंगे कब तक सहोंगे, अब भिड जाओ इन हेवानो से

सजा इन्हें देनी हैं या मोज मनवाओंगे जेलों में
जितना दर्द उन्हें हुआ क्या दे पाओंगे उन्हें जेलों में

सब अपना मत देते हैं पर कोई ना हाथ बढ़ता
दुनिया की नजर में रे बंधें ,तू कायर कहलाता
जो रक्षा करता सब की वो मर्द कहलाता

अपने समाज की बुराई को जो जड़ से मिटाता
ओरत को ओरत जो समझे वो मर्द कहलाता
मर्द बन जाओ रे इंसानों अब तो मर्द बन जाओ

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़

9:37 PM 27/04/2013
_▂▃▅▇█▓▒░ Chandan Rathore (Official) ░▒▓█▇▅▃▂_

Tum Jaa Rahi Ho (तुम जा रही हो) Poem No. 90 (Chandan Rathore)

Poem No.90
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तुम जा रही हो . . . .
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तुम जा रही हो
संग मेरी खुशियाँ ले जा रही हो
तुम कैसे आज अपने दिल को समझा रही हो
हंसी आ रही अपने पे आज की तुम असे कैसे छोड़ के जा रही हो

देखो आज तुम मुझे हर कदम पे नजर आ रही हो
ए सुनो ना तुम मुझे इतना क्यों तड़पा रही हो

चाँद को देख रहा हूँ मै
लगता जैसे आज फिर मुस्कुरा रही हो
ए रोबो ऐसे बिच राह में क्यों छोड़ के जा रही हो

तुम चली जाओंगी एक दिन मैं फिर अकेला पड़ जाऊंगा
ए तुम जाते जाते ऐसे मुंह क्यों बना रही हो

याद करोंगी ना मुझे वंहा जाकर जहाँ सब होंगे नोकर चाकर
ऎसे लग रहा हैं मुझे जैसे तुम मुझे अभी से भूले जा रही हो

देख तेरी याद बहुत आएगी मुझे, मैं अपने आप को कैसे संभालूँगा
रोबो मुझे ऐसा क्यों लग रहा है ,कि तुम मुझसे बहुत दूर जा रही हो

देख ना आजा तू मैं तुझे नहीं सताऊंगा
तेरी हर सरारतों को मैं चुप चाप सह जाऊँगा
देख मेरी आँखे भर आई हैं
अब मुझे रुला कर तो मुझसे दूर ना हो

बस इतना सा साथ था तेरा
कुछ पल आंसुओ ने गेरा
अब गेर रही जैसे तन्हाई हो
तुम अब दूर ना हॊ अब तुम दूर ना हॊ

मैं तुमसे दूर चला जाऊँगा
अब कभी ना नजर मैं आऊंगा
पता नहीं अब केसे लिख पाऊंगा
मेरी यादों में बस तुम हो बस तुम हो

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़

07:32pm, Fri 26-04-2013
_▂▃▅▇█▓▒░ Chandan Rathore (Official) ░▒▓█▇▅▃▂_

Monday 22 April 2013

Aaj Shokakul Hu Me (आज शोकाकुल हूँ मैं) Poem No.89 (Chandan Rathore)


Poem No.89
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आज शोकाकुल हूँ  मैं 
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हो रहा हैं कोलाहल सब तरफ कैसी  ये हलचल
जहाँ  जाए बस एक ही बात हैं ,बेटी तू ध्यान  से चल

क्या हो रहा हैं आज लोगों को,राष्ट्र भी शोकाकुल हैं
क्योंकि यहाँ छोटी सी बच्ची भी सुरक्षित  नहीं  हैं

कैसी  हैं ये पुरवाई इस भंवर  मैं  बेटी ही क्यों आई
बार बार पूछूँ  मैं  हर इंसानों से, इस दरिंदगी मैं बेटी ही क्यों आई

सोचो और समझो कभी अपनी उमीदों का फुल ना मुरझाये   
दूसरे की बेटी को अपनी बेटी सा  समझो , शायद सब ख़त्म हो जाए

कितनी तकलीफे सह रही हैं नारी उसे भी तुम कुछ अधिकार दो
सारे कुकर्म (देहज,रेप,...अन्य) से अब तो उसे तुम निजात  दो

आँखे भर आती हैं , अब देखा नहीं  जाता ये सब
सरकार कब कुछ  करेंगी  पता नहीं  कब ख़त्म होगा ये सब


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

9:16 AM 21/04/2013
(#Rathoreorg20)
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गुडिया की कहानी (Gudiya ki Kahani) Poem No. 88 (Chandan Rathore)


POEM No.88
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गुडिया की कहानी
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आ गई एक और बेटी हेवानियत से जूझते हुए
पर जब सोचूँ  में उसकी उम्र तो दिल जुर जुर रोये

छोटी सी चिड़िया हुई शिकार , दिन काट रही वो भी अस्पताल में
इंसानियत तो रही नही इंसानों में , जहर गोल दिया बच्ची  के जीवन में

नन्ही  सी परी  ने  तो अपना   बचपन खोया
देख कर उसकी वो खबर  मै  आज  खूब  रोया  

मर   गया   जमीर   उन  लोगों  का , जिन्होंने   बच्ची को भी नहीं  छोड़ी
सब  को जेल  में इख्ठ्ठा  करना  ही  न्याय  नहीं  , शर्म   तो करो  थोड़ी

उन्हें भी उस दर्द का अहसास हो ऐसी  उन्हें सजा दे दो
5 साल की बच्ची  पुकार रही अब उसे तो इंसाफ दे दो

सहन कर लिया मैने तो वो संग्राम जो था उस हेवान के साथ
तन के घाव  तो भर  जायेंगे , मन  के घाव में कोन देगा मेरा साथ

जुल्मी तो खुला  घूम  रहा   दुनिया में , मैं  काट रही जीवन चार दीवारों में
सजा मिली मुझे क्या उसे भी मिलेंगी, ऐसी  सजा खुदा किसी को ना दे उसके जीवन में

अब देखना हैं  कि कोन रण विजय होता  हैं , कोन हैं अब किसी के साथ ये देखना हैं 
सभी से मेरा निवेदन हैं , चुप रहोंगे कब तक या अभी और जुल्म  देखना हैं

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 
7:35 AM 20/04/2013

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मेरी एक रचना गुडिया को समर्पित कुछ त्रुटी हो तो मुझें  क्षमा करें
->राठौड़

Me So rahi hu . . . (मैं सौ रही हूँ . . . ) POEM No. 87 (Chandan Rathore)


POEM NO. 87

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मैं सौ रही हूँ  . . .
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मैं रो रहा हूँ,  वो सौ रही हैं
मैं कुछ कह रहा हूँ और वो सौ रही हैं
हम अपनी दर्दे-दास्ताँ कब सुनाये  
थोडा कुछ कहने लगे तो वो बोले "मैं सौ रही हूँ. . ."

आज मैं बैठा हूँ वो सौ रही हैं
इतना भर चूका हूँ मैं की
अब जी करता हैं मैं भी सौ ही जाऊं
वो सौ रही हैं मैं आज तड़प रहा हूँ
वो कह कर चली गई मुझे "मैं सौ रही हूँ. . ."

सौ जाओ तुम्हारी नींद में कोई विघ्न ना हो
आज जी भर सौ लो फिर पता नहीं कल नींद नसीब ना हो
हम सोते नहीं क्योंकि तुम्हारे साथ ज्यादा वक्त बिता सकें 
पता नहीं आज हम हैं कल हम ही ना हो

जाने कैसे सौ जाता हैं ये समां
यहाँ तो बुझती नहीं कोई समां
पूरी रात एक शख्स  पे खत्म कर देते हम
वो तो बस कुछ देर साथ चलते हैं और
"मैं सौ रही हूँ. . ." कह कर दे जाते हैं ढेरो गम

"मैं सौ रही हूँ. . ." सौ जाओ रोबोट 
कभी मैं भी सौ जाऊंगा
तुम कितना भी उठाओंगे  
पर मैं कभी ना उठ पाउँगा

"सौ  ना  पाऊं कुछ सोच ना पाऊं
दिल के अकेलेपन से कैसे  निजात मैं पाऊं
माना तुम मेरे हाथों की लकीरों में नहीं हो
पर ये बात मैं अपने पागल दिल को कैसे  समझाऊ"

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

04:20 AM 20/04/2013
(#Rathoreorg20)
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In English

Poem No. 87
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I m sleeping . . .
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I m cry she is sleeping
I telling something and she is sleeping
When I tell u my sad movement
I start telling she said “I m sleeping”

Today I seat she is sleeping
How much pain fills my heart
Now I also as sleep
She is sleeping today but I m not wall
She is gone after telling me I m sleeping

Ok you going to sleep I don’t disturb you
Today let you sleep; I don’t know tomorrow you want but can’t sleep
I don’t take a sleep because I spend whole time with you
I don’t know today I m here but I m not here tomorrow

How sleep this night
Here not off light whole night
I finish my Whole night only one person
They are spend only some movement with me
“I m sleeping” tell me then she gift me more pain

“I m sleeping” good night robot
One day I m also sleeps
How you get up me
I never get up because I m die .. .

“I can’t sleep, I can’t some think
My heart is alone how leave my pain
Let I think you not in my life
But my mad heart can’t understand” 



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

04:20 AM 20/04/2013
(#Rathoreorg20)
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Sunday 21 April 2013

Tera Gam (तेरा गम . . .) POEM NO. 86 (Chandan Rathore)


POEM No.86
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तेरा गम . . .
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ढूंढ़ रहा में भी एक सच्चाई . . .
मिली नही आज तक मुझ में  किसी को अच्छाई . . .

छोड़ जाती वीरानियों मैं साथ मेरी अपनी परछाई . . .
कोई तो आगे आये और थामले मेरी कलाई . . .

दे कर मुझे दुःख वो नासमझ बहुत इठलाई . . .
पर उसे भी बहुत सतायेंगी मेरी जुदाई . . .

हर बात मैं  समझाता रहा दुनिया को . . .
पर मुझे एक बात भी किसी ने ना समझाई . . .
ढूंढ़ रहा मेरे दुखों की सच्चाई  . . .

प्यार में तो होती रहती हैं  सब की लड़ाई . . .
फिर क्यों तुमने उसे मगरूर होके निभाई . . .

कोन बुरा नहीं  हैं जग में , मुझ मे  भी है बहुत बुराई. . .
पर उसकी सजा इतनी तो नहीं, कि हो जाए जिन्दगी भर की जुदाई . . .

"दे कर मुझें गम हमेशा खुश रहना तुम . . .
क्यों की तुम्हे रोना बहुत पड़ेगा जब होगी मेरी दुनिया से विदाई . . ."


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

4:03 PM 19/04/2013
(#Rathoreorg20)
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Muhobat Ke Karm ( महोब्बत के कर्म ) POEM No. 85 (Chandan Rathore)


Poem No.85
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महोब्बत के कर्म
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महोब्बत के कर्म कुछ ऐसे थे
पहले तो खुद रुलाये
फिर हँस कर चुप कराये
फिर बोले तुम फिर शुरू हो गये

आकर देख मेरी जगह पे
माँ कसम तेरी भी जान निकल जाएतुझसे हाथ जोड़ विनती है
यार अब तेरी शरारते सहन नही होती है

तू करना जुल्म इतना की मेरी सांसे रुक जाए
बस ऐसा कर की तेरे सामने मुझे मोत आ जाये

किसी को रुलाना तो कोई तुमसे सीखे
जब जरुरत हो हमारी और हम कभी ना दिखे
मै पागल कितना रोता हूँ तुम्हारे लिए
और मगरूर होना तो कोई तुमसे सीखे

तू रोना ना आज क्यों की रोया मै बहुत तेरी यादमें
एक एक आंसू पुकार रहा तुझे
तू कहा तेरा प्यार कहा
तू भी रोती मेरे आंसू पर अगर तू मेरी होती


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

5:39 PM 19/04/2013
(#Rathoreorg20)
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प्यार/Love Poem No. 84 (Chandan Rathore)


Poem No. 84

****
प्यार
****
तुम आई मेरे जीवन में तो मेरी खुशिया ले आई
कितने दिनों के बाद मेरे चेहरे पर मुश्कान आई
बस देखता रहता हूँ बस तुझे क्योकि
पता नही ये हँसी कब तक के लिए आई

क्या इशारा करती हैं , हँस के तू जो नजर झुका देती है
तुम्हारी इतनी नटखट सी अदायें ही तो हमें घायल करती है
हर लम्हें में तुम याद आती हो
हर ख्याल में बस तुम मुशकुराती हो

तुम्हारा साथ में अपनापन सा लगता है
तुम नहीं हो जिस पल वो पल बेगाना लगता है

सामने बैठ कर मेरे हर ख्याल को चुराने वाले
दर्द में हर दम मेरा साथ निभाने वाले
अब कैसे जुदा हो पाउँगा तुमसे कभी
होकर जुदा ना दूर तुमसे हूँ
ये क्या समझेगे ये ज़माने वाले

आपका शुभचिंतक
लेखक :- चन्दन राठौड़
3:14 PM 18/04/2013
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English Translate By Rahul Paliwal

Poem No.84
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LOVE
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You come in my life with my happiness
After many days smile come on my face

I looked to you only because
I don’t know these smile is remain how much time

What you do Gestures, you feel shame with the smile
Yours all naughty things injured to me

I remember you in every movement
Only you smile in my every movement

When you with me I feel like I am yours
When you not with me I feel like I am alone

You sit front of me and theft my entire dream
You are with me in my all sad movement

How I get away from you
If I leave but I am not far from you

This world could not understand these things

Writer :- Chandan Rathore
3:14 PM 18/04/2013

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

3:14 PM 18/04/2013
(#Rathoreorg20)
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Betiyo Ka Jivan (बेटियों का जीवन) Poem No.83 (Chandan Rathore)


POEM No.83
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बेटियों का जीवन
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जब पैदा होने में ही इतना संघर्ष
तो आगे क्या ,हमारा होगा जीवन
जन्म पर ही मार देते है ,नाजुक कलियों को
कही अगर बच जाये तो ,क्या हमारा होगा जीवन

जन्म की पीड़ा भरी स्थति से उभर पाती
उसके पहले ही समाज के लोगो के, ताने सुनवा दिये माँ को
ऐसी दरंदगी भरी दुनिया में बोलो, क्या होगा हमारा जीवन

थोड़े जब बड़े हुए हम ,सहन शक्ति भी बढ़ गई
पहले समाज था ,अब पूरा संसार है
कुछ लोगों की गंदगी भरी, नजरों से आज बच भी गए
तो सोचो कैसा होगा , हमारा आगे का जीवन

कुछ दरिन्दे लोग है ,जो हमारी बहनों के साथ दुर्वव्हार करें
जो संसार के नियमों की, रेखाओं को भी पार करें
ना मिलता इस संसार में, उनको इन्साफ
जिनकी लज्जा को ,वो बीच राह में तार-तार करें
फिर कोई अगर बच जाती, उनकी दरिंदगी से
तो इस संसार में , उनका क्या होगा जीवन

तमाशा देख रहा हैं , आज जमाना
फिर भी कईयों ने ,अभी तक भी हमारा महत्व ना पहचाना
घर की चार दीवारों में ,बंद हो गया हमारा फ़साना
अगर हम ना हो जीवन में तो , क्या होगा जीवन तुम्हारा "जरा बताना"

जैसे - तैसे बच गए, ज़माने के अपवादों से
शादी कर अलग हो गई , अपने भगवानों से
माँ बनी परिवार को संभाला, बड़े अरमानों से
अब इतने बलिदानों के बाद ,फिर भी अंधकार में हमारा जीवन

फिर बेटी के लिए ,लोगों के ताने सुने मेने
तो फिर भी हिम्मत कर , उसके आने के सपने बुने
जैसे - तैसे बेटी हुई , उसका भी बिछड़ा हुआ वो बचपन
क्या था मेरा जीवन ,और क्या होगा बेटी का जीवन

कैसे जिन्दा रहे हम, इस धरती पे
जहाँ कदम कदम पे खतरा हो
बलिदान सिर्फ हम करे
फल हमेशा कोई और खाता हो

कई नारी पे अत्याचार होते, पर सामने कभी ना वो आती
कितने भी कोड़े पड़े , फिर भी ना आंसू बहाती
बंद करदो अब रुलाना हमको
ना अगर हम बचे तो , क्या चला पाओंगे तुम्हारा जीवन

"आज बिछड़ा हैं जीवन हमारा
पता नहीं कब सुधरेगा समाज हमारा
आशा हैं हमें कोई तो आएगा
जो हम बेटियों के जीवन में खुशियाँ लायेगा "


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

17:04 PM, Wed 17-04-2013
(#Rathoreorg20)

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Sunday 14 April 2013

Lekhak Ki Kalam Se. . . (लेखक की कलम से . . .) POEM NO. 82 (Chandan Rathore)


POEM No. 82
कविता नम्बर ८२
***********
लेखक  की कलम से . . .
***********

लिख रहा खाली दिल आज जाने क्या लिखेगा
मन में ना कोई है , जाने दर्द किसका भरेगा

उठकर सोच रहा अब , जाने किसको कागज पर आज उकेरेगा
कलम डूबा कर स्याही  में , बढ़ रहा है कागज की ओर
जाने किसको आज फिर से जीवित करेगा

देखा उसे मैने और वो लिखते ही रो पडा
पहला अक्षर  'तुम' था और उसे पढ़कर ही वो रो पड़ा

आंशुओ  के सेलाब में डूबते हुए लिखा कुछ  उसने
पास में भरा पैमाना उठा कर आज कई दिनों बाद चखा उसने

उठ कर गया लड़खड़ाते हुए
कुछ ढूंड रहा है शायद

कुछ पाकर झूम रहा है खिलखिलाते हुए
पुरानी डायरी मिली उसे पढ़ रहा है शरमाते हुए

उठा कलम देख आसमान में लिखना जब चालू किया उसने
"है प्रभु !
मै चला अपने  मुकाम पर अब कोई आये   तो  कह  देना  
लिखता था यहाँ बाबा कोई अब देश से हो गया देश निकाला
अगर तेरी थोड़ी सी कृपा हो और मै जिन्दा बच जाऊं
तो उसे भी मॉत का नाम दे देना"

इतना कहकर वो गाने लगा
जोर जोर से हँसने लगा

"सारी दुनिया मेरी कलम में
और में जा रहा हूँ  कब्र में "
किसी का स्वभाव  गलत बताया हो
किसी को कुछ ज्यादा अच्छा  बताया हो
किसी को अनजाने में कही ठेस  पहुंचाई  हो
किसी को मेरी कहानी सुनकर आँख  भर आई हो"

"में तो पात्र हूँ नाटक का आज मेरा नाटक पूरा हुआ
सभी को मेरा सत् - सत्  नमन आज मेरे विचारो का अंत हुआ"


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

9:23 AM 14/04/2013
(#Rathoreorg20)
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Saturday 13 April 2013

Mera Dard Suno (मेरा दर्द सुनो) POEM No. 81 (Chandan Rathore)


POEM No.81

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मेरा दर्द सुनो
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Aaj likh raha janaja mera
koi padh k na roo jaana
badi mushkil se paya mukham he mene
koi duwa kar k muje na bulalena

lagta he aaj bhetha hu kabr me rakh kar shir pe haath
aashu hi shukh gaye ab to aakho k ab to rana band karo koi ye na kahna aaj

mar kar me roj vapish aata hu jab dekhta hu tujko pass
ro ro kar mera dil bas ye hi bole ki ab nhi he teri aash

kese jiu ye to bataya nhi
hal mera kabhi puchwaya nhi
ab bhi gujarish karta hu ki tu khush rahe
par ha tere siwa koi or muje bhaya nhi

dekh kar to aaj bhi tu vese hi mushkura jaati he
par tere alfajo or tere khayalo me to kabhi aaya nhi

nikalte rahe alfaj likhe jaa raha hu me
har ek lafjo me ji bhar roye jaa raha hu me

teri yaad aati nhi par tu kaha se aajati he
tuje bhula jaata nhi or tu aakhe yaad dilajati he



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

12:04 Pm, Fri 12-04-2013
(#Rathoreorg20)
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Hindi Hamari Bhasha "हिन्दी हमारी भाषा" Poem No.80 (Chandan Rathore)



POEM No.80

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"हिन्दी हमारी भाषा"
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बचा पाँऊ मैं हिन्दी को बस ये ही हैं मेरी अभिलाषा
विचार विनिमय का माध्यम हैं भाषा
कही ख़त्म ना हो जाए हिन्दी हमारी ये भाषा

ख़त्म हो रहा उसका प्रचलन ख़त्म हो रही उसकी आशा
कैसे बढ़ाये इन लोगो में हिन्दी बोलने की जिज्ञाषा

जो भूल गए हिन्दी भाषा को अब तो भर गया उनका कलसा
शुरू करो अब बोलना हिन्दी फिर देखो कैसे रोज होता जलशा

पूरा हिन्द बोले हिन्दी बस इतनी सी हैं आकांशा
ख़त्म हो गई आज हिन्दी ख़त्म हो गई उसकी अवस्था
पर गर्व करूँगा मैं मुझ पर की आज बोल रहा हूँ मैं हिन्दी भाषा
ख़त्म हो रही लोगो की हिन्दी ख़त्म हो रही अपनी भाषा

अथाः है अपनी हिन्दी उसकी न होती हैं व्याख्या
कैसे लोग हो गए हैं कैसी मंद हो गई उनकी मनीषा

क्या भूल गये जन्म हुआ हैं हिंदुस्तान में हिन्दी तुम्हारी हैं भाषा
अब तो बोलो की आगे हैं हिन्दी बोलने की तुम्हारे मन में भी लालसा

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

10:04 PM 11/04/2013
(#Rathoreorg20)
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Nakab Kitne He (नकाब कितने हैं) Poem No.79 (Chandan Rathore)


POEM No.79
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नकाब कितने हैं ....
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आदमी अकेला पर उसके नकाब कितने हैं
मुस्कान एक पर उसके आज मोहताज कितने हैं

कोई भाई तो कोई दीदी यहाँ रिश्ते हजार निभते हैं
आदमी अकेला पर उसके नकाब कितने हैं

एक घर जहा बसते हैं हजार रिश्ते

घर में एक दुनिया की सबसे प्यारी माँ
जो बेटों को नजरों से दूर नही रख सकती
जो पैदल चलती हैं पर बेटों को रिक्शा की सलाह देती
खाना जो खिलाती हैं अपना पूरा प्यार लुटा देती हैं
कोई पहचानता नहीं की उसके आंशु के सेलाब कितने हैं
आदमी अकेला पर उसके नकाब कितने हैं

हो के मगरूर जमाना चलता हैं अपनी शान में
पर मत पूछों की यहाँ खुश आदमी के पीछे दुःख कितने हैं

कहता है रंग मंच हैं ये दुनिया
हर पल में नकाब बदलती हैं दुनिया
ऐसी दरिंदगी भी होगी कहा
जहाँ हर दम रुला देती है दुनिया

हंसमुख मुखोटे में छुपा हैं ढेरो गम
रोते हुए चेहरे में भी कही ख़ुशी देख लेते हम
कोई भागता हैं दुनिया की गुमनाम भीड़ में 
कोई हँसाते हँसाते भी आँखे कर देता नम 
उसकी नजर में आदमी एक पर यहाँ उसके नाम कितने हैं
आदमी अकेला पर उसके नकाब कितने हैं


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

समय :-7:38 AM 10/04/2013
(#Rathoreorg20)
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Teri Yaad Baaki He....(तेरी याद बाकी है ) Poem No.78 (Chandan Rathore)


POEM No. 78
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तेरी याद बाकी है। …
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tu call krti subh bolti kya job pe jate kyo nhi...
yad aati he teri wada kiya jo hasne ka rota isliye nhi...
tu chali gai par teri yaad baaki he....

muje jindgi jina sikhane wale...
thode se samay me muje 6od jaane wale...
aaja aaj teri bahut yaad aa rhi he...
tu chali gai par teri yaad baaki he...

teri yaado me aashu bahana chahe par baha na paaye.....
khabar teri paane ko teri kabr tak ham rooj jaaye...
pata he aaj teri di hui shart pahni he ab tere bin wo bhi khakhi he...
tu chali gai par teri yaad aaj bhi baaki he...

tu ham pe naaraj hoti thi ,ham tuje dekh k hash jaate the
tu jab bolti thi to ham teri nakal nikal kar tuje khub chidate the
jab me sota tha to muje darane bhut ka nakab pahn k chali aati thi....
jab me tujse nhi darta to tu ruth jaati thi....
aaj naa tu he naa teri sararte ab kitna rona baaki he...
tu chali gai par teri yaad aaj bhi baaki he....

ab dard bhare dil se haste huye gam bhari shayriya likhta hu....
khud rota nhi or logo ko rulane ki khata me karta hu....
A-dekhna wo muje tere liye chidate he, ek baar aake bata ki tune pyar nhibaya....
tune vada kiya tha na saath chalne ka to ye rashta akele kese safar kiya....

mera gam hi mere kaam aaya...
usne hi mujse tere liye likhwaya....
"ab me tuje meri parchi me mahsus karta hu...
tuje pata he log fut fut kar rote he jab me kabhi hasta hu..."

muje sab puchte he ki muje duniya ka sab se bada gam he...
or sunna fb ki duniya k log muje No Tensan No Love Kahte he ...
A-tuje pata he mumbai k log aaj bhi muje comediyan kahte he....

A sun muje asa laga jese me tujse baat kar raha hu....
dekh kalam se sayhi nikal padi me use bhi rula raha hu....
dekh pagli me marunga nhi abhi kyo ki tujse meri mulakat baaki he....
tu to chali gai par Sachii... teri yaad aaj bhi baaki he. .. .


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

9:04 AM 05/04/2013
(#Rathoreorg20)
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Naari (नारी) Poem No.77 (Chandan Rathore)


 

POEM No.77
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नारी
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हर कदम पे हताश वो प्यारी
गम सहते हुए फूलो की वो क्यारी
कितनी परेशान है नारी कैसी है आज की नारी

कोई हाल ना पूछे उनका फिर भी सबका ख्याल रखती है नारी
कभी ना कोई करता परवाह उनकी फिर भी खुशहाल है नारी

नारी की उत्पिडा ही उसका सिंगार है
फिर भी आज बहुत खुश है नारी

हाथ बढ़ाने से डरते है सब
कोई हाथ बढ़ाने को तैयार नही
इसलिए तो गुमनाम है नारी

हर दुःख को अपने ऊपर लेती
हर पीड़ा वो सहन करती
फिर भी हर दम मुस्कुराती है नारी

हर नया कदम बढ़ाने पे वो घबराती
क्यों की रास्ते में कई अपवादों की टोली उसके आड़े आती
फिर भी आज हर कदम पे सर्वप्रथम है नारी

"ना ना करो नारी अब
बढाओ कदम नारी अब
अब समय नही है चुप रहने का
प्रण करो सबसे आगे होगी नारी अब"

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

9:04 AM 04/04/2013
(#Rathoreorg20)

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Wednesday 3 April 2013

Tumhari Yaade (तुम्हारी यादें . . . ) Poem No. 76 (Chandan Rathore)


Poem No.76
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तुम्हारी यादें . . .
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भुला तो  दे  पर  तुम्हारी  यादे  हमें  बहुत  परेशान  करती  है |
भुलाना चाहते नही फिर भी कोशिश तो करनी है |

तुम याद करोगे किस लिए प्यार की कहानी तो हमें लिखनी है |
हमारी  किताब के पन्नों की हर लाइन भी तो तुम्ही से बननी है |

दर्द बहुत भर दूंगा  मेरी जिन्दगी में
तुम्हारे बगैर  जिन्दगी तो हमें बितानी है |

क्यों करते हो इतनी  शिकायत हमसे की याद बहुत करते हो तुम 
हम कहते है अगर ख़त्म भी हो गई स्याही तो
खून से किताब को पूरी तो करनी है
आखिर वो किताब भी तो तुम पे लिखनी है

तुम दर्द भरते रहे हम लिखते रहे
तुम रुलाते  रहे हम जी भर रोते रहे
अब तो कभी कभी कलम भी रो देती है सनम
फिर भी लिख लिख कर दुनिया को अपनी जिन्दगी बयां  करनी है

जब मुझ पे गुस्सा करती है तो वो खुश रहती है
जब मै उसे मनाता हूँ  तो वो हँस पड़ती है

"ना करो इतना गुस्सा हम पे
कही हम नाराज ना हो जाए
तुम्हारी मुस्कुराहट  के मोहताज है वरना
इतना दम रखते है की हम भी नाराज हो जाए "


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

8:05 PM 03/04/2013
(#Rathoreorg20)
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Monday 1 April 2013

Didi Bahut yaad aati ho (दीदी बहुत याद आती हो) Poem No.75 (Chandan Rathore)


कविता नम्बर ७५
Poem No. 75
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दीदी बहुत याद आती हो ....
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जो मुझे देख कर चिल्ला उठती थी
जो मुझे हर दम ढ़कन कहती थी

आज वो नाराज हे मुझसे और बात नही करती
"साथ हु तुम्हारे हर दम " वो हमेशा कहती थी

में उसे दीदी दीदी कहता हर पल
बुलाता उसे में हर दम रो रो कर
वो बात भी नही करती ऑनलाइन होकर

एक गलती उसकी भी माफ़ी नही होती क्या
दे दो माफ़ी अब तो इतनी सजा क्या

याद हे जब पहली बार मिले तो मुझे गले से लगा लिया था
अब ये तो बताओ आज मुझसे जुदा क्यों हो

तुजसे मिलने का समय 30 मिनिट उसमे ही जिन्दगी जी ली मेने
अब तो हँस दे मेरी प्यारी दीदी देख कान पकड़ कर सॉरी भी कलह दी मेने

केसे रहूँगा तुम बिन तू ही तो सब कुछ हे मेरा
रखूँगा ख्याल हमेसा बस सुनले न एक पैगाम मेरा

माफ़ी देदो अब तो वरना दूर बहुत चला जाऊंगा
फिर में तुम्हे कभी ना सताऊंगा . . . सची.. . .

बहुत याद आती हे दीदी तुम्हारी . . .

only for my COFFEY didi

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

9:01 Am, 2/4/013
(#Rathoreorg20)
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Tum Khush ho . .(तुम खुश हो . . ) POEM NO. 74 (Chandan Rathore)


POEM No.74

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तुम खुश हो . . .
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मेरी तक्लुफ़-ए-सनम क्या तुम खुश हो . . .
मेरी ख़ुशी-ए-सनम क्या तुम आज भी खुश हो . . .

हर कदम पे मेरे तक्लुफ़ पे-ए-हुशन की मल्लिका. . .
तू नही तेरी याद ही सही पर सच बताओ की तुम आज भी खुश हो . . .

मेरी चाहत को रोंधने वाले ए इन्शान जरा ये तो बताओ की तुम खुश हो . . .
तेरी बाहों में जो दिन कटे वो पल भी खुछ अजीब थे
आज तेरे बिन काट रहे हे हर पल तुम भी क्या अजीब थे
छोड़ कर गया तन्हा इस ज़माने में रोता हुआ देख कर
भी ये दीवाने पूछ लेते हे "क्यों खुश तो हो"

मेरी इतनी सी तम्मना हे की मेरी हसरते ना मिट जाए लिखते लिखते
मेरे अल्फाजो को पढ़कर कही कोई ये ना कह जाए की शायरों में तो बस तुम हो . . .

कहे की कमी थी साथ में मेरे
कहे की नमी थी इकरार में मेरे
जुश्त्जू रखता नही में अब तुमसे
पर हा सच बताना क्या आज भी तुम खुश हो . . .

खफा जो तुम हुई दुनिया बेगानी हो गई
सारी खुशिया मेरी मुझे ही रुसवाई दे गई
अब जाने कब तुम आओगे और मेरे बालो को सहलाओगे
प्यार से मेरी आखो में देख कर मुझे तुम ये फ़रमाओगे
"मेरी जान अब तो तुम खुश हो . . . "




आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

11:12 AM 31/03/2013
(#Rathoreorg20)
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Ek Anjani Ladki ( एक अन्जानी लडकी.. ) POEM NO. 73 (Chandan Rathore)


POEM No.73
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एक अन्जानी लडकी...
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Jab wo chalti he kya khushbu aati he
jab wo hasti he to fulo ki barsat ho jati he

uska kayal jo aata he to man machal jaata he
uski baat jo hoti he kahi to muje sharm si aajati he

uska ahsas jab hota he rota hua chahra bhi has padta he
mosam hi badal jaata he jab wo jum jum k nachti he

bholi bhali natkhat wo pari dekh kar muje wo chup jaaye
nayan uske matwale najar uski thodi nashili he

uski payal ki jankar jese kaano me padti he
man me kai sitare jumne lagte
dil me nai umang si dod padti he

uske pero ki aahat dhire se aaati he
chupke se mere piche aakhe muje wo darati he

mere pass aake wo pagli fir lot jaati he
kitna dard he usko fir bhi har dam wo mushkurati he

Ek Anjani Ladki dekho sapne me Kitna satati he




आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

11:39am, Sat 30-03-2013
(#Rathoreorg20)
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"Aaj Fir Tu Online He" Poem No.72 (Chandan Rathore)


POEM No.72
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Aaj Fir Tu Online He
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dekh kar tuje online tujse chat karne ko ji karta he
par tere gamo ko dekhte hue back aane ko ji karta he

tu yaad karegi nhi ye muje pata he
pyar to ek tarfa mera tha ye to duniya ko pata tha

ab aake online kyo satati he
ye sab kyo kiya ye kyo nhi batati he

kitni badi hogai na tu jo baat nhi kar sakti mujse
yad kar jab tu bhi kabhi dekhti ek tag muje

ab itne intiha bhi na le mere ki pran pakheru ud jaaye
hasi to ye aarahi he ki ye sab padh k tu offline na ho jaaye

teri aakho se bhale hi juda hu
par teri yaad me to me judha hu

only my robot
i heat u sachii. . .

tumhara Rathore


आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़

9:56 AM 28/03/2013

"Yaro Ki Masti Samundar K Shaat" Poem No.71 (Chandan Rathore)


POEM NO.71
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Yaro Ki Masti Samundar K Shaat
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Wo yaro ki masti samundar k shaat
lahr lahar lahrati  sagar ki lahro k shath
dube he mastane aaj kya mila jo shaat
waa waa karti duniya hamari kavitao k shaat

aaj na karege mastiya kam mile jo thin diwane shaat
likhne bethe he aaj niye tarane bhuli bisri yado k shaat
thindi lahrati hawaye dil ko machlati he
nikal pade parinde apne aashiyano se
aaj apne yaro k shaath

aati lahre baha lejati
wo samundar ka khara pani
wo jor jor se pani se ladna
fir jor jor se hasna
ab aap hi bataye kahi milega asa shaat
wo yaro ki mastiya samundar k shaat

uff ka takaluf na kariyo a pariye
jaha uff dikhe bhai jaan waha comment na kariye


आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़

05:11pm, Sun 24-03-2013