Tuesday 17 March 2015

Tum Kaha Ho Bhai (तुम कहा हो भाई) POEM NO. 223 (Chandan Rathore)


POEM NO. 223
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तुम कहा हो भाई
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तुम ना हो तुम्हारा अहसास है भाई
बिना किसी वजह बस हर अहसास है भाई

तुम्हारी छोटी सी परी नन्हें हाथों से राखी उठा कर कह रही
तुम कहा हो भाई
तुम ही मेरे रक्षक थे तुम ही मेरी हर सांस हो भाई

सुना सा लगता है बिन तुम्हारे जीना
आँखे ढूंढ थी है सपने और तुम ख्वाब हो भाई

रोती हूँ तुम्हारे लिए पुकारती हूँ तुम्हें
छोड़ चले तुम अपनी बहना को विरान इस दुनियाँ में
तुम ही मेरी धरा तुम्ही आसमान हो भाई

13 जून तुम्हारा जन्म दिवस है
मेरा जीवन तुम्हारे बिन व्यर्थ है
तुम ही मेरे ईश्वर तुम्हारे बगैर कुछ भी आस नही भाई

तोफे थे तुम मेरे लिए ईश्वर के
चीन कर मुझसे तुम्हें सजा दे दी मुझे
अब कौन मेरे पास है भाई
अब कौन मेरे पास है भाई

भाई मिस यु

अगले जन्म मेरे ही भाई तुम बनना
आज तुम्हें याद कर के रो रही है तेरी बहना


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

7:39 PM 15/06/2014
(#Rathoreorg20)
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Friday 13 March 2015

Meri Pidaa (मेरी पीड़ा) POEM NO. 222 (Chandan Rathore)


POEM NO. 222
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मेरी पीड़ा
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मेरी आँखें भोली भाली
गहरी नीली काली काली

देख संसार की काला बाजारी
आँखें रोती बारी बारी

प्रेम वियोग से तो मन रोते है
आँखें रो रो कर हो गई भारी

बिना स्वार्थ जिया मै करता
कौन सहे दुःख बारी बारी

तुम हो मेरे आँखों के तारे
कहत माँ सो गई दुखियारी प्यारी

शब्द बने साखी संगी
कागज रोये साथ में मेरे
कलम रोये स्याही की बोली
एक एक आँशु आये भारी भारी

मन चंचल शीत लहर सा
सिकुड़ कर बैठा है मस्त अँधेरे में
लिख लिख कर सुना रहा है "राठौड़"
अपनी मन की पीड़ा बारी बारी



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

10:20am, Mon 26-05-2014
(#Rathoreorg20)
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Monday 2 March 2015

Garib Ka Iman (गरीब का ईमान) POEM NO. 221 (Chandan Rathore)


POEM NO. 221
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गरीब का ईमान
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आँखे खोली बिछड़ा सब कुछ
बिना माँ और पा के क्या है सब कुछ

दुनियाँ का गन्दा नाला पीता रहा
बड़ा हुआ कैसे ये मुझे ना याद रहा

सीखा ना कुछ भी ना शिक्षा मिली
रोज मुझे नीत नवी मंजिल मिली

उदर पीड़ा ने क्या क्या सिखाया
मेहनत ने तो मुझे कई बार भूखा सुलाया

फिर भी कांटो पे चलता था
रोज पानी सा रास्ता बना के चलता था

बेकाबू सा मन था मेरा
काबू ना कर पाता था
एक तो उदर पीड़ा दूसरा समाज सताता था

मै गरीब सही मेरा ईमान गरीब नही है
मै भूखा नंगा सही पर मेरे ख़्वाब नग्न नही है

चल रहा हूँ उस रास्ते पे
चलता रहूँगा हमेशा
चाहे भूख से मर जाऊ
पर अपना ईमान ना बेचूंगा


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

10:15am, Mon 26-05-2014
(#Rathoreorg20)
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