Tuesday 30 July 2013

Tera Pyar (तेरा प्यार) POEM No. 112 (Chandan Rathore)


Poem No. 112
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तेरा प्यार
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तेरे ख्वाबो के जरोखो में
हम खुद को निहारना भूल गये
तेरे परछाई को पाने के लिए अपनी  परछाई को भूल गये
तेरे ख्वाबो को पूरा करने में अपने ख्वाब कहा छुट गये

साथ था साथी सा
टूट गया एक पल में
भरोसा था खुले आसमान सा
कहा अँधेरा हो गया एक पल में

तेरी बातो में बस तुझे
और तेरे गमो में बस मुझे
देख देख कर जीता हूँ
तेरी छोटी सी बात को भी
में बड़ी सिद्दत्त  से  संजोता  हूँ

कुछ छुपाया तुझसे  तो वो मेरा जीवन था
सब बोल कर तुमने मेरा जीवन छीन लिया

ओए ! रोबो केसी ये प्यार की कशिश  तुम्हारी
अब केसे मिल पायेगी हंसी तुम्हारी

तुम्हे विश्वास  है मुझ पे
मुझे विश्वास है तुम पे
अब क्या चाहिए जीने को
अब क्या चाहिए जीने को


आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

07:42am, Thu 06-06-2013

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Sunday 21 July 2013

SUKUN (सुकून) POEM NO. 111 (Chandan Rathore)


POEM NO. 111
सुकून
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माँ की आश्मान जैसी  बाहों में जो सुकून  होता था आज संसार की भीड़ में वो सुकून कहा

जब भाई मेरा सर चूमता था और मेरी और देख कर मुश्कुराता था
आज वो सुकून कहा

छोटी छोटी मिटटी  की गोलिया बना ने में जो सुकून था
आज वो सुकून कहा

माँ की गोदी में रोते रोते सो जाने में जो सुकून था
आज मखमली बिस्तर में वो सुकून कहा

जब एक बिस्किट के 2  टुकड़े कर के बहन बोले ये लो खाओ
जब माँ अपने हाथ आगे कर कहती ये ले बेटा खाना खा ले
जब पा कोई मिठाई का डिब्बा  हाथ में पकड़ा कर बोले ये लो बेटा
 वो परिवार का सुकून  कहा

छोटे छोटे कदमो से चलते चलते पूरा घर नाप लेते थे
आज पूरा संसार भी नाप ले तो वो सुकून कहा

वो स्कूल में कदम रखते सब दोस्त दोड़कर गले लगा लेते थे
आज पूरा collage  साथ है फिर भी वो सुकून कहा

ख़त्म  हो गया  सुकून जीवन का
बढ़ गया  जूनून जीवन का
आज कितना ही आगे क्यों ना हु मै दुनिया से
पर जो बचपन में भागने में जो सुकून था वो सुकून आगे बढ़ने में कहा

कमजोर कलियों से हाथ थे
नन्ही आँखों  में बड़े सपने थे
आज के सपनो  में अब दम कहा
आज के जीवन में वो सुकून कहा

जब  खुला आश्मान था सामने
आज बंधे  हुए   है  सारे कदम
सब के साथ बेठ कर खाने में जो सुकून था
आज बंद कमरे में वो सुकून कहा

आज वो सुकून कहा  .. .
आज वो सुकून कहा  .. .

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

9:34 AM 07/06/2013

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Thursday 18 July 2013

Wo Bhi Kya Gajab Thi (वो भी क्या गजब थी . . .) Poem No. 110 (Chandan Rathore)


Poem No. 110
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वो भी क्या गजब थी  . . .
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रो कर मेरे आंसुओ को पोंछा  उसने
हंसकर उसके गमो को छुपाया उसने
मेरी आहट ने खूब रुलाया उसको
जब गया अलविदा कह कर
मेरी याद में दिया जलाया उसने

इतनी कमजोर ना थी माशूका मेरी
मेरी याद में हर पल मुझे बुलाया उसने
पानी भरने जब लगती खुला छोड़ देती नल को
रोटी बनाते बनाते कई बार हाथ जलाया उसने

याद में मेरी वो नहाती थी
क्लास में बेठी बेठी कई खो जाती  थी
मेरे प्यार के खातिर अपने सफ़र को भूल जाती थी
याद है मुझे कई बार 2-4  स्टेशन आगे पंहुच जाती थी  

ऐसी दिल की रूसवाईया क्या होगी
उसकी आंसर शिट पे नाम मेरा लिख देती थी  

गजब प्यार था उसका
खुशनुमा अंदाज था उसका
वो हँसते हँसते मेरे लिए रो देती थी 

वो भी क्या गजब थी  . .. .

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (Rathoreorg20)

07:42 AM 06/06/2013

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Saturday 13 July 2013

Tu Kabhi Mera Naa Hoga (तू कभी मेरा ना होगा ) Poem No. 109 (Chandan Rathore)


POEM No. 109
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तू कभी मेरा ना होगा
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तेरा यूँ  मुझे किसी मौड़ पे छोड़ के जाना
मेरी किस्मत को तेरे साथ ले जाना
हर दम भटकता हूँ  मंजिल को पाने को
अब बर्दाश नही होता तुझसे दूर हो जाना 

कह कह हारा मेरे अरमानों को
इतने पहाड़ ना बनाओ उसके लिए
दिल की गलिया सुनसान हो जाती है , जाने से तेरे
सब कुछ तो बोल दिया अब क्या जान दू , तेरे लिए

मुझे समझ  नही आता की तुझे  समझ क्यों नही आता
तू भी मजबुर है ये माना मेने
पर क्या तुझे मेरा  दर्द नजर नही आता

एक दिन ख़ुशी देता है फिर गम का सेलाब छोड़ जाता है
आँखों  से आँसू बहा कर उबासी  का बहाना बनाता है

सफ़र मेरा नहीं  ये सफ़र तेरा ही होगा
में कितनी भी कोशिश  कर लू तू कभी मेरा नही होगा


आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (Rathoreorg20)
7:14 PM 31/05/2013

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Saturday 6 July 2013

108 "Sarkar KI Den" (108 "सरकार की देन") Poem No. 108 (Chandan Rathore)


POEM No. 108
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108 "सरकार की देन"
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जैसा अनोखा नाम वैसा अनोखा काम 
सेवा इतनी करे जिसका ना कोई दाम 

पीड़ा हारी जैसे हो माँ हमारी 
दुर्घटना की सुचना पाते ही फ़ौरन जो आती 

कई इलाज तो उसमे ही हो जाते 
कई लोगो के जीवन उसमे ही बच जाते 

सरकार  की क्या देन  है न्यारी 
कईयों की जिन्दगी इसने संवारी

हर कदम पर साथ जो दे देती 
उसकी वाह वाह दुनिया है करती

उसको सत् सत्  नमन करे  ये  दुनिया सारी
कितनी प्यारी है 108 हमारी
 कितनी प्यारी है 108 हमारी 

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (Rathoreorg20)

10:15 PM 30/05/2013

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