Saturday 5 December 2015

Kavita Ka Safar (कविता का सफर) POEM NO. 229 (Chandan Rathore)


POEM NO. 229
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कविता का सफर
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मन रूठा सा, मन उदास
आज लिखेगा नए इतिहास

कुछ शब्द मन में आये
उस प्राणी ने उनको कागज पर सजाये

दो-चार लाइन और लिखी .
फिर कही जाकर कविता दिखी

उसने दो लोगो को पढाई
हस्स कर उसकी खिली उड़ाई

फिर कवि ने कहीं उसे पोस्ट किया
दो-चार ने लिखे दो-चार ने कमेंट भी आया

भूल गए कविता
और खत्म हुई कविता

जिंदगी थम सी गई
कवि की साँसे रुक गई

मृत हुआ अधड शरीर
आत्मा को मिला नया शरीर

धड़क ते हुए अंगारों पे मुझे सेका गया
मेरी अस्थियों को गंगा में फेका गया

भुलकड़ अन्दाज लोगो का ये बात नई नहीं थी
लोगो के मुख पे कोई बात मेरी नहीं थी

एक रोज किसी के हाथ में ये कविता लगेगी
मेरा हर शब्द उसकी आत्मा को जिंझोड़ेगी

फिर वो इसे बड़े चाव से पढेगा
अपने अंदर के मानव शैतान से कहेगा

लिख इस राठौड़ की कहानी को
लिख उसकी मनमानी को

छूकर लोगों के मन को
फिर नया इतिहास बनाएगी

तब कहीं जाकर ये कविता पहचानी जायेगी
तब कहीं जाकर ये कविता पहचानी जायेगी 


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

04:09pm, Sat 21-06-2014
(#Rathoreorg20)
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Wednesday 12 August 2015

Dohawali Part 2 ( दोहावली भाग 2) POEM NO. 228 (Chandan Rathore)


POEM NO. 228
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दोहावली भाग 2
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चन्दन हुआ 24 का, मन में ना राखे पाप |
अब तोसे का छुपाऊ, मन नाप सके तो नाप || 11 ||

चन्दन खुशबु में नही, खुशबु है चन्दन माय  |
दौड़ दौड़ मृग ढूंढे, खुद उसे ना खुशबु मिल पाय || 12 ||

राख में पड़ा चन्दन, अश्तियों को खुशबु देत |
बिना काज मानव नही, जैसे बिना पानी के रेत || 13 ||

सुखा पड़ा है चन्दन, घिस सके जितना घिस |
मंदिर बाहर आश्रम है, फिर भी सोये तोहरे शीश || 14 || 

चन्दन करता अभिनन्दन, मानव दिवस कई अपार |
सोवत सोवत वर्ष बिट गये, अब तार सके तो तार || 15 ||

चन्दन चन्दन सब करे, चन्दन बने ना कोई |
चन्दन घिस घिस कर भी, चन्दन तोरे माथे सोहे || 16 ||

कट गयो चन्दन राजा ने बचवन ने
घिस गयो चन्दन तोरे शीश सजवाण ने
हवन,पूजा, अर्थी सजे, तोरे मान बढ़ावन ने
चन्दन चन्दन कई करे, कब पहचानेगा चन्दन ने || 17 ||

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

11:49 AM 19/06/2014
(#Rathoreorg20)
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Friday 19 June 2015

24 Janm Divas (24 जन्म दिवस) POEM NO. 227 (Chandan Rathore)


POEM NO. 227

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24 जन्म दिवस
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आज जन्म दिवस है चोइस
लगता है जीवन में अब तो आएगी चोइस

डर सा रहता है मन में कही छूट ना जाये सब यहाँ
सब साथ हो मेरे सब पास हो मेरे हर जन्म दिवस पर

कैसे ख़ुशी दूँ कैसे हसी दूँ कुछ समझ नही आता
धड़कने बढ़ सी जाती है जब ये शुभ अवसर आता

भोली भोली सी धड़कने, धक-धक धक-धक करती है
ये समय की गाड़ी आज फिर, टिक-टिक टिक-टिक करती है

हर जन्म दिवस पर, खूब खुश होता हूँ
इतनी खुशियों को पाकर में चुप-चुप रोता हूँ

आदत नही है मुझे खुश रहने की, और नही चाहिए मुझे कोई चोइस
खुश रहो मेरे यारों, आज दिवस है खुश होने का जन्म दिवस है हमारा चोइस


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

11:49 AM 19/06/2014
(#Rathoreorg20)
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Friday 22 May 2015

Naa Koi Khuwaish (ना कोई खवाइश) POEM NO. 226 (Chandan Rathore)


POEM NO. 226
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ना कोई खवाइश  
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ना मन उदास है ना मन में ख़ुशी
आज फिर लोगों ने दे दी मुझे जूठी हसीं

अब क्या रहा जीवन और क्या रही जिंदगी
ऐ मजबूर हाथों की लकीरों जरा तोड़ दो  बंदिश

अकेले चलना सीखा था अकेला  आगे बढ़ जाऊँगा
यहाँ पथ पथ पर लोगों के रोग है और उनकी आपसी रंजिश

ना आँशु है आँखों में , ना दिल पागल तेरे नाम का
ना कोई तेरे नाम की कविता है, ना कोई बर्बाद खवाइश

दर्द के पहलु सिखुड से जाते है जब याद तेरी आती है
अब क्या बताऊ थक सा गया हूँ और ख़त्म हुई सब समजाइश

तेरे लहू में आज भी में बहता हूँ ये मेरे खुदा को पता है
मेरा दिल रेगिस्तान सा हो चला अब तुझसे ना कोई फरमाइश

अब आ भी जा ऐ सनम मेरी लाश को आग लगाने को
जिस घर को खड़ा किया था तेरे प्यार ने उसमे रही ना कोई नुमाइश


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

12:40am, Wed 18-06-2014
(#Rathoreorg20)
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Sunday 17 May 2015

Ajab Kavita (अजब कविता) POEM NO. 225 (Chandan Rathore)


POEM NO. 225
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अजब कविता
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वो सोये तो कविता
वो जागे तो कविता
शब्दों का जनजाल है फिर भी
खो रही थी कविता

बात ना होती फिर
यादों में थी कविता
हस रहा ये जमाना  
और फुट फुट के रो रही कविता

कविता ना बोले
कविता कई राज खोले
लोगों के खुशियों के माहोल में
झुर झुर रोती है कविता 

कवि की भावना
ना उसका रूप डरावना
फिर क्यों भागे लोग
अकेली ही रह गई है कविता 

पास आओ, मुझे समझाओं
थोड़ा पढ़ो, फिर समझाओं
तुम्हारी ही कहानी हूँ में
अब अपना भी लो तुम कविता

भारी भीड़ नही, कुछ ही सही
पर वो भी कविता के इच्छुक हो
तुम भले ही ना पढ़ों
पर ठुकराओ तो ना तुम कविता 


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

9:24 PM 17/06/2014
(#Rathoreorg20)
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Friday 1 May 2015

Sambhal Naa Paata Hu (संभल ना पाता हूँ) POEM NO. 224 (Chandan Rathore)


POEM NO. 224
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संभल ना पाता हूँ
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एक दुझे को समझने को रोज चला मै आता हूँ
देख कर मेरी कमजोरी मै संभल ना पाता हूँ

भूखा उठता हूँ तेरे प्यार में भूखा सो जाता हूँ
नही मै आता, नही मै जाता फिर भी खो जाता हूँ

तेरे प्यार के खातिर, लोगों के दर्द लिख जाता हूँ
लोग जब पढ़कर रोते है तो मै सहम सा जाता हूँ

आज भी तेरी नामौजूदगी में, मै पल पल मर सा जाता हूँ
तू कही खुश, में तुझमे खुश, ख़ुशी कहा है, मै समझ ना पाता हूँ

ऐ प्यार की गलियाँ उस तक पहुँचने का रास्ता दिखा दे
मै उसके बिना आज भी गुम हूँ मै उसके बिना आज भी गुम हूँ

कमबख्त मारा उसके प्यार में बेचारा फिर फिर ढूंढ़ता हूँ
तेरी ख़ुदग़र्ज़ीयो को आज भी में चुप चाप सह जाता हूँ

एक दुझे को समजने को रोज चला मै आता हूँ
देख कर मेरी कमजोरी मै सम्भलना पाता हूँ



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

9:01 PM 17/06/2014
(#Rathoreorg20)
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Tuesday 17 March 2015

Tum Kaha Ho Bhai (तुम कहा हो भाई) POEM NO. 223 (Chandan Rathore)


POEM NO. 223
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तुम कहा हो भाई
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तुम ना हो तुम्हारा अहसास है भाई
बिना किसी वजह बस हर अहसास है भाई

तुम्हारी छोटी सी परी नन्हें हाथों से राखी उठा कर कह रही
तुम कहा हो भाई
तुम ही मेरे रक्षक थे तुम ही मेरी हर सांस हो भाई

सुना सा लगता है बिन तुम्हारे जीना
आँखे ढूंढ थी है सपने और तुम ख्वाब हो भाई

रोती हूँ तुम्हारे लिए पुकारती हूँ तुम्हें
छोड़ चले तुम अपनी बहना को विरान इस दुनियाँ में
तुम ही मेरी धरा तुम्ही आसमान हो भाई

13 जून तुम्हारा जन्म दिवस है
मेरा जीवन तुम्हारे बिन व्यर्थ है
तुम ही मेरे ईश्वर तुम्हारे बगैर कुछ भी आस नही भाई

तोफे थे तुम मेरे लिए ईश्वर के
चीन कर मुझसे तुम्हें सजा दे दी मुझे
अब कौन मेरे पास है भाई
अब कौन मेरे पास है भाई

भाई मिस यु

अगले जन्म मेरे ही भाई तुम बनना
आज तुम्हें याद कर के रो रही है तेरी बहना


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

7:39 PM 15/06/2014
(#Rathoreorg20)
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Friday 13 March 2015

Meri Pidaa (मेरी पीड़ा) POEM NO. 222 (Chandan Rathore)


POEM NO. 222
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मेरी पीड़ा
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मेरी आँखें भोली भाली
गहरी नीली काली काली

देख संसार की काला बाजारी
आँखें रोती बारी बारी

प्रेम वियोग से तो मन रोते है
आँखें रो रो कर हो गई भारी

बिना स्वार्थ जिया मै करता
कौन सहे दुःख बारी बारी

तुम हो मेरे आँखों के तारे
कहत माँ सो गई दुखियारी प्यारी

शब्द बने साखी संगी
कागज रोये साथ में मेरे
कलम रोये स्याही की बोली
एक एक आँशु आये भारी भारी

मन चंचल शीत लहर सा
सिकुड़ कर बैठा है मस्त अँधेरे में
लिख लिख कर सुना रहा है "राठौड़"
अपनी मन की पीड़ा बारी बारी



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

10:20am, Mon 26-05-2014
(#Rathoreorg20)
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Monday 2 March 2015

Garib Ka Iman (गरीब का ईमान) POEM NO. 221 (Chandan Rathore)


POEM NO. 221
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गरीब का ईमान
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आँखे खोली बिछड़ा सब कुछ
बिना माँ और पा के क्या है सब कुछ

दुनियाँ का गन्दा नाला पीता रहा
बड़ा हुआ कैसे ये मुझे ना याद रहा

सीखा ना कुछ भी ना शिक्षा मिली
रोज मुझे नीत नवी मंजिल मिली

उदर पीड़ा ने क्या क्या सिखाया
मेहनत ने तो मुझे कई बार भूखा सुलाया

फिर भी कांटो पे चलता था
रोज पानी सा रास्ता बना के चलता था

बेकाबू सा मन था मेरा
काबू ना कर पाता था
एक तो उदर पीड़ा दूसरा समाज सताता था

मै गरीब सही मेरा ईमान गरीब नही है
मै भूखा नंगा सही पर मेरे ख़्वाब नग्न नही है

चल रहा हूँ उस रास्ते पे
चलता रहूँगा हमेशा
चाहे भूख से मर जाऊ
पर अपना ईमान ना बेचूंगा


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

10:15am, Mon 26-05-2014
(#Rathoreorg20)
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Thursday 22 January 2015

Ek Praskar (एक पुरस्कार) POEM NO. 220 (Chandan Rathore)



POEM NO. 220
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एक पुरस्कार
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कोख में बैठा एक नन्हा सा पुरस्कार
मत कर ऐ इंसान उसका तू तिरस्कार

आने दो उसे आसमान तक छाने दो उसे
कोख में ही मार दिया तो तुझ पे है धिक्कार

भगवान की हर बात कबूल कर ऐ प्राणी
वो बेटी होगी या बेटा ये जान ने का तुझको क्या अधिकार

बेटी होगी लक्ष्मी होगी माँ बन कर तू भी धन्य होगी
तेरी खामोशी की वो होगी आवाज बस तू उसको ना मार

क्यों करती है बेर तू उस से वो भी तेरा अंश है
बोल री तुझको मारने का क्या है अधिकार

सोच कर क्या सोचती हो पगली पैदा होने का दे उसे भी अधिकार
तेरा बेटा प्यारा बेटा पर बहु बिना वो भी तो बेकार


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

10:07am, Mon 26-05-2014
(#Rathoreorg20)
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Monday 12 January 2015

Maharana Partap (महाराणा प्रताप) POEM NO. 219 (Chandan Rathore)


POEM NO. 219
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महाराणा प्रताप
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वो महाराणा हो वो प्रताप हो
वो देश रा राजपूता रो मान हो

आन, बान, हिंदुत्व की शान हो
मेवाड़ रो वो प्रताप हो

लड़ियों गणो, वो सहियो गणो
वो हल्दीघाटी रो जिवंत प्राण हो

उदयपुर री गाथा में वीरता रो प्रमाण हो
राजपूता रे सम्मान रे खातिर लड़ियों वो राजपूता रो भगवान हो

वो महाराणा हो वो तो प्रताप हो
वो झुकियो नही, वो भाग्यो नही
वो तो रण में एक्लो ही तीर कमान हो

तलवार लागि भाला लागिया वो पुरो लहूलुहान हो
मेवाड़ मुकुट री लाज बचावण ने वो हर घर रो गुमान हो 

गूँज रही चेतक रे पग्लिया री आवाज
हल्दीघाटी में हो रहियो हाहा कार आज
वो बलिदान रो बलिदान मेवाड़ी सरदार हो

गर्व है माने राजपूता रा बलिदाना रो
अब घर घर गूंजे प्रताप रो नारो
मेवाड़ धन्य है जो जन्म होयो यहाँ महाराणा प्रताप रो

बोल रही प्रताप री बोली याद करो थे प्रताप को
सत सत नमन मारो, महाराणा प्रताप को



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

5:51 PM 25/05/2014
(#Rathoreorg20)
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Monday 5 January 2015

Mewad Ro Mukut (मेवाड़ रो मुकुट) POEM NO. 218 (Chandan Rathore)


POEM NO. 218
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मेवाड़ रो मुकुट
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कुम्भलगढ़ में जन्म लियो
उदय सिंह जीवत रो लाल कह लायो

शौर्य,पराक्रम, मान्धिन, गौरवशाली मानव वो कहलायो
शौर्य पुत्र प्रताप रो चेतक ने भी क्या खूब साथ निभायो

हल्दी घाठी  री गाथा भी अमर रही
सलीम ने घायल कर युद्ध सु भगायो

मेवाड़ रो मुकुट बचावण ने मन्ना जी भी प्रताप रो साथ निभायो
लहूलुहान प्रताप फिर भी रण में आपणो परचम लहरायो

मन्ना जी ने प्राण त्याग दियो
प्रताप ने घर त्याग दियो

वन में घास फुस रो रोटो खायो
अरावली री पहाड़िया मायने आपणो आवास बणायो

धर्म और समाज के खातिर सब त्याग दियो
उदयपुर बणी रजधानी प्रताप रे 24  वर्षा रा
शासन मायने मेवाड़ रो सदा नाम ऊचो रखायो

ऐसा वीर की महिमा जब कागज पर उतरी तो
वो उदय सिंह रो पुत्र महाराणा प्रताप कहलायो


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

5:00 PM 25/05/2014
(#Rathoreorg20)
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