POEM NO. 194
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बेटियाँ तो बेटियाँ है
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बेटियाँ तो बेटियाँ है
कच्ची कच्ची मटकियाँ
टूट जायेगी एक दिन
दिल अगर जो उनको तोडा है
बिटियाँ रानी नदी सुहानी
मीठे पानी की गंगा है
छोड़ बाबुल की बगियाँ
उसे पिया संग होना है
राखी का अटूट रिश्ता है बेटियाँ
लक्ष्मी, दुर्गा,सरश्वती है बेटियाँ
मन की डगरी सुनी हो जाती है
जब छोड़ के जाती है बेटियाँ
कोमल मुलायम हाथों वाली
मनमोहक मनोरम रूप वाली
सुने घर की आवाज है बेटियाँ
परिवार का निर्माण है बेटियाँ
बेटी एक धर्म है
भाई की बहन है
माँ की सहेली है बेटियाँ
पिता की प्यारी होती है बेटियाँ
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
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1:49 PM 04/02/2014
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