मेरा प्यारा दोस्त “चन्दन”
घर वालो से रहता हे तू दूर
पर क्या करे तू भी हे मजबूर
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता हे ,
ये तू ही समझ सकता हे
फेसबुक का तू भी हे दीवाना ,
कर रहा हे तू एक अच्छा काम ,
कन्या को दिला रहा हे अपना मुकाम ,
कन्या भ्रूण हत्या पर उठाई हे तूने आवाज ,
इस मे हम भी हे तेरे साथ ,
तुझे नहीं रहता हे अपनी भावनाओ पर काबू ,
और तेरे भी निकल आते हे आसू ,
और क्या कहू में तेरे बारे में यार ,
तेरा भी बने अपना एक मुकाम ,
जिस से हो माता - पिता को तुझ पर नाज,
जिस के लिए कर रहा हे तू मेहनत आज ,
पुरे हो तेरे भी सपने ,
और याद रहे हम भी हे तेरे अपने ,
इस नाचीज को भूल न जाना ,
याद कर के एक फ़ोन तो गुमाना ,
************* लेखक : - राहुल कुमार पालीवाल
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