जिन्हें हम पहचानते नही
उनके साथ बेठा हु में
आज भ्रमण हे मेरा पहला
और दुनिया जी रहा हु में
कर चले अपने सफ़र का आगाज हम सब
निकल पड़े मोज - मस्ती करने हम सब
कोई कुछ खिलाता तो कोई इतना पिलाता
कोई हँस -हँस के बार-बार गले मिल के ख़ुशी मनाता
आज हे मोज-मस्ती की पहली रात
यही हो गया फूल 2 धमाल का आगाज
रात को 2 बजे तक खेले हमने आज ताश
ये दिन भी हमारे लिए था बहुत खाश
हुई अगली सुबह दिल्ली में
निकल पड़े हम बस में
खूब चिलाना खूब हँसना
खूब एक दुसरे को कमेंट्स करना
जोर -जोर से गाने गाना
हनी सिंह के गानों का इतंजार करना
गाने आते ही बस की गिलहरी में नाचने लगना
ये बहुत खास भ्रमण था हमारा
जा पहुचे हम बड़ी देरी के बाद डलहोजी
सब मनाते खुशिया और सभी के चेहरे पर हे खुशी
पूरी रात की खूब मोज-मस्ती
सुबह होते ही आ चुकी थी बारिश
फिर निकले खजियार गुमने को
सब तरफ बर्फ से गिरे पहाड़
सुनहरी वादियों का नजारा
दुन्दल में छिपा हुआ सूरज हमारा
ये ही तो हे सब से अच्छा भ्रमण हमारा
वो बर्फ के ऊपर चड़ना
वो बर्फ से फिसलना
बर्फ के गोलों को एक दुसरे पर फेकना
ये दिन भी था यादगार
ये बहुत यादगार भ्रमण था हमारा
अगली शाम धर्मशाला में थी
वहा भी मस्तिया कहा कम थी
नाच गानों के साथ DJ पार्टी
वो तो बहुत ही थी हॉट पार्टी
"इतना नाचे की साँसे फुल गई
इतना चिल्लाये की पूरी धर्मशाला गूंज गई"
क्यों ना हो शोर गुल ये तो होना ही था
ये हमारा बहुत अच्छा भ्रमण जो था
निकल रहा पहाड़ो से पानी
जेसे कोई इठलाती रानी
देख सब की बन गई एक और कहानी
सब उसे अपने केमरे में केद करने को तत्पर
उसपे सब चढ़े पहड़ो के ऊपर
देख कर ही मनमोहित हो जाये उस मंजर को
कभी ना भुलेगे हम इस भ्रमण को
आगये अब दिल वालो की दिल्ली में
धामो में धाम अक्षरधाम में
हम ने भी शीस झुकाया प्रभु के चरणों में
आ पहुचे हम जिलो की नगरी में
गले लग-लग के विदा किया सब को
आखो में वो 7 दिन
वो भूले बिसरे लम्हे
वो खटी-मीठी सरारते
वो नोक जोक के यादगार लम्हे
कभी ना भुला पायेगे
क्यों की ....
यादगार भ्रमण जो था हमारा
miss u हर पल यारो
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़
कविता लेखन शुरू - 04:44am, Sat 12-01-2013
कविता लेखन समाप्त - 09:48am, Thu 17-01-2013