चहरे पे झुरिया
ठण्ड से ठीठुरता
कापते हुए हाथ
तरसी हुई निगाहों से देखते
अवस्ता में ढलते दूर का कुछ ना दिखे
बातों में शीतलता
नजर कमजोर
हर काम सोच कर वो करते
देख - देख धिरे धिरे वो चलते
साधारण उनका पहनावा
कुछ भी ना उनका दिखावा
सब का भला वो सोचते
सब को ख़ुशी वो देते
"हर घर में बुजुर्ग होने चाहिए
बुजुर्ग भगवान का रूप होते होते हे उनका आदर जरुर करे"
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़
(Facebook,PoemOcean,Google+,Twitter,Udaipur Talents)
समय -08:41pm
दिनांक - Tue 08-01-2013

 
No comments:
Post a Comment
आप के विचारो का स्वागत हें ..