POEM No. 48
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आज रो लेने दो
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आज मुझे रो लेने दो
आज मुझे दुनिया से खो जाने दो
एक एक कतरा आँसुओ का मुझे समेट तो लेने दो
आज इस दुनिया की भीड़ में मुझे खो जाने दो
तेरे लिये मेरा रोना तेरे लिये इन आँसुओ का गिरना
अब चाहे ख़त्म हो जाये मेरी ज़िंदगी के ये पल
अब तुझसे बिछड़ के है इतना रोना
आज मुझे रो लेने दो
आज मुझे दुनिया से खो जाने दो
कहाँ तेरी बातें कहाँ तेरे करम
कब तक घुट घुट के जियेंगे ऐ मेरे सनम
कुछ बता तो दो
कुछ सुना तो दो
आज रो लेने दो आज रो लेने दो
तरक्की की इन आँसुओ में भी
ज़िंदगी में अंधेरा है मेरे
आज लूट जाने दो
आज बिखर जाने दो
आज जी भर रो लेने दो
आज जी भर रो लेने दो
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़
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04:29pm, Thu 21-02-2013
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