Tuesday 18 March 2014

Bujurgo ka pyar ( बुजुर्गो का प्यार ) POEM No. 158 (Chandan Rathore)


बुजुर्गो का प्यार 
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बुजुर्गो का प्यार आज भी है 
उनमे जवानी कि तरंग आज भी है 

दांतो के अभाव में हंसना कम नहीं किया अब भी 
लगाते ठहाके वो आज भी है 
बुजुर्गो का प्यार आज भी है 

बातें देखो ऐसी कि जवानी भी सरमा जाए  
बुढ़ापे में सब को रोग सताये 
पर जो जवानी में सरूर था 
वो सरूर आज भी है 

ना किसी का डर , होकर वो निडर 
लेकर अपनी रानी को दिखा दिया पूरा शहर 
जो ना होगा इन जवानो के खून में 
उनके खून में उबाल आज भी है 
अरे ! बुजुर्गो का प्यार आज भी है 



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

09:28am, Tue 05-11-2013

_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_

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