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इस कदम पे तुम थी  
उस कदम पे भी तुम थी 
रात कि चांदनी में दिखी एक परछाई 
उसमे भी तुम थी 
सपने में जो धुंधली सी तस्वीर थी 
वो भी तुम थी 
भीड़ में जो एक रोशनी सी जो चमक रही 
वो भी तुम थी 
घर में पुरानी तस्वीर को जब देखा घोर से तो 
उस मे भी तुम थी 
दुनिया के दुःखो  को सहना सिखा तो  
उन दुःखो में भी तुम थी 
पैदल चलते हुए जब लगे पैरो में कांटे 
उन काँटों को बिछाने वाली भी तुम थी 
उजाले में भी एक अँधेरा था 
उस अँधेरे का कारण भी तुम थी 
मुझे बनाने में भी तुम थी 
तो मुझे रुलाने में भी तुम थी 
इस्क के इरादे में भी तुम थी 
प्यार में दरारे भी तुम थी 
मेरी हंसी भी तुम थी 
तो मेरे आंसू भी तुम थी 
छोड़ कर चली जाती तुम फिर भी 
मेरी यादों में बस तुम थी 
ऐ ! मेरी जिंदगी मेरी जिंदगी भी तुम थी 
तो मेरी मौत भी तुम ही तो थी 
आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 
09:20am, Wed 13-11-2013
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_ 

 
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