Thursday 26 June 2014

Meri Gumnam Asiqi (मेरी गुमनाम आशिक़ी) POEM No. 172 (Chandan Rathore)



POEM NO. 172
---------------- 
मेरी  गुमनाम आशिक़ी
-------------

मेरी धड़कन की आवाज
आज सुने मेरे अल्फाज
जाने क्या सह रहा हूँ
जाने क्या सोच रहा हूँ

धड़कन में हल-चल सी है
उठ रहा कोई उबाल सा है
शांत हो जायेगी धड़कन मेरी
हर बार आते ऐसे विचार है

पुकार रहा किसी बेवफा को
रोती धड़कन उसकी वफ़ा को
चलता है फिर रुक जाता है
पता नही याद कर रहा है किसी को

आरजुये  समेटी नही जाती
वो लड़की भुलाई नही जाती
उसके अलावा मुझे किसी की याद ना आती
उसके सामने मेरी जिंदगी भी शर्माती

लिख रहा हूँ  अपने  झज्बातो से
शुरू होती मेरी शुबह उसी की यादो से
बह रहे है जिंदगी के सारे पहलु
अब क्या आशा रखु मुर्दा झज्बातो से


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 
4:38 PM 12/12/2013
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂

No comments:

Post a Comment

आप के विचारो का स्वागत हें ..