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वो सोये तो कविता
वो जागे तो कविता
शब्दों का जनजाल है फिर भी
खो रही थी कविता
वो जागे तो कविता
शब्दों का जनजाल है फिर भी
खो रही थी कविता
बात ना होती फिर
यादों में थी कविता
हस रहा ये जमाना
और फुट फुट के रो रही कविता
यादों में थी कविता
हस रहा ये जमाना
और फुट फुट के रो रही कविता
कविता ना बोले
कविता कई राज खोले
लोगों के खुशियों के माहोल में
झुर झुर रोती है कविता
कविता कई राज खोले
लोगों के खुशियों के माहोल में
झुर झुर रोती है कविता
कवि की भावना
ना उसका रूप डरावना
फिर क्यों भागे लोग
अकेली ही रह गई है कविता
ना उसका रूप डरावना
फिर क्यों भागे लोग
अकेली ही रह गई है कविता
पास आओ, मुझे समझाओं
थोड़ा पढ़ो, फिर समझाओं
तुम्हारी ही कहानी हूँ में
अब अपना भी लो तुम कविता
थोड़ा पढ़ो, फिर समझाओं
तुम्हारी ही कहानी हूँ में
अब अपना भी लो तुम कविता
भारी भीड़ नही, कुछ ही सही
पर वो भी कविता के इच्छुक हो
तुम भले ही ना पढ़ों
पर ठुकराओ तो ना तुम कविता
पर वो भी कविता के इच्छुक हो
तुम भले ही ना पढ़ों
पर ठुकराओ तो ना तुम कविता
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
(Facebook,Poem Ocean,Google+,Twitter,Udaipur Talents, Jagran Junction , You tube , Sound Cloud ,hindi sahitya,Poem Network)
9:24 PM 17/06/2014
(#Rathoreorg20)
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