Thursday 17 October 2013

Uthoo Javano (उठो जवानों) Poem No. 133 (Chandan Rathore)


POEM No. 133
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उठो  जवानों
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उठो जवानों उठो जवानों
अभी आराम ना करना है 
देख रहे हो इस जहाँ  को (2)
इसको आगे बढ़ाना है (2)

वंचित है जो पाठशाला से  
उन्हें पाठशाला में लाना है 
जिनके घर में धान नही है (2)
उनको भोजन कराना है (2)

उठो जवानों उठो जवानों
अभी आराम ना करना है 
गावं गावं ढाणी ढाणी अब ये अलख जगायेंगे 
जागो मित्रो जागो मित्रों हम आगे बढ़ जायेंगे 

बाल शोषण में जो बच्चे है 
उन्हें इंसाफ दिलाना है 
कन्याभूर्ण हत्या का अंत हमें ही तो करवाना  है 
भूखे बेघर बच्चों को अपना आशियाना दिलाना है 
उठो जवानों उठो जवानों
अभी आराम ना करना है 

भूख प्यास की खबर नही
लोक लाझ की खबर नही
ऐसे  लोगों की क्या तारीफ , मुझे खबर नही
अरे ! दो चार अपवादों से से अब क्या डरना भिड़ना है
उठो जवानों उठो जवानों
अभी आराम क्या करना है
 
समाज सवार देश सवारों
बहुत काम है करने को
अब भी सोच रहे है प्यारे
क्या बचा है करने को

अरे ! सपने रखता हूँ मै
सपने तुम भी रखा करो
इन समाज की बातों से तुम ना अब डरा करो
आगे आओ देश के लिए नए सपने तुम बूना करो
उठो जवानों उठो जवानों
अभी आराम ना करना है


 आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

10:33am, Fri 26-07-2013

_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_

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