POEM NO. 165
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एक प्रार्थना
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शुभसंध्या सर ,
अब देश बदल दो
हर जन कि ये पुकार है
चीख रहे है यहाँ भूखे बच्चें
कितने यहाँ बेघर गम रहे है बच्चें
कई तो पढ़ने के लिए आतुर है
सभी पीड़ित जन कि ये ही पुकार
अब देश बदल दो, अब देश बदल दो मोदी
हो रही यहाँ जनता परेशान
महंगाई ने निकल रखी है जान
करप्शन को तो उस पर बड़ा अभिमान
अब ख़त्म हो बेरोजगारी का नामो निशान
बस अब देश बदल दो मोदी , अब देश बदल दो
रो रही जनता पुकार रही बस मोदी
सब आप के हाथ में कल सुबह उनकी थाली में रोटी होगी
देश बचालो मोदी जी देश बचालो
ये मेरी नही देश कि आवाज है
अब रुकना नही सब को खुश कर दो सर
इतना फेला दो कि अपनी आवाज मोदी जी तक पहुँचे.......
आपका शुभचिंतक
08:09pm, Sun 08-12-2013
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
08:09pm, Sun 08-12-2013
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_
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