Saturday 5 April 2014

Raanjanaa (रांजणा ) POEM No. 164 (Chandan Rathore)

POEM NO. 164
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रांजणा 
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एक दिल मारे उछाल ओये क्या कहना 
जब तू दिख जाए तो नैन मुस्कुराये क्या कहना 
मै  हुआ रांजणा मै  हुआ रांजणा 

मन दौड़े जैसे  कोई मृग  हो 
प्रीत कि उमंग जैसे कोई रस रंग हो 
ह्रदय सुर में गाये जेसे कोई म्रदंग हो 

नयन जैसे  झरना हो अश्कों का 
होठ जैसे हर पल मुस्कुराये 
गीत हो जैसे संगीत में 
प्यार हो जैसे मंजीत में 
मै  हुआ रांजणा मै  हुआ रांजणा 

स्वप्न में वो आती बस 
निंदो में वो समाती बस 
रूठी हुई महफ़िल में भी वो मुस्कुराती है 
मै उसकी धुन में मिलो दौड़ पड़ता हूँ 
मै  हुआ रांजणा मै  हुआ रांजणा मै  तो 


रांजणा बन बन मै फिरू
प्यार में नाचू और सबको नचाऊँ 
मेरी सोच में सब है  रांजणा 
मै  हुआ रांजणा मै  हुआ रांजणा मै  तो 


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 
8:06 PM 08/12/2013

_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_

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