Thursday 22 January 2015

Ek Praskar (एक पुरस्कार) POEM NO. 220 (Chandan Rathore)



POEM NO. 220
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एक पुरस्कार
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कोख में बैठा एक नन्हा सा पुरस्कार
मत कर ऐ इंसान उसका तू तिरस्कार

आने दो उसे आसमान तक छाने दो उसे
कोख में ही मार दिया तो तुझ पे है धिक्कार

भगवान की हर बात कबूल कर ऐ प्राणी
वो बेटी होगी या बेटा ये जान ने का तुझको क्या अधिकार

बेटी होगी लक्ष्मी होगी माँ बन कर तू भी धन्य होगी
तेरी खामोशी की वो होगी आवाज बस तू उसको ना मार

क्यों करती है बेर तू उस से वो भी तेरा अंश है
बोल री तुझको मारने का क्या है अधिकार

सोच कर क्या सोचती हो पगली पैदा होने का दे उसे भी अधिकार
तेरा बेटा प्यारा बेटा पर बहु बिना वो भी तो बेकार


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

10:07am, Mon 26-05-2014
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂  

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