Tuesday 20 November 2012

मेरी कहानी मेरी जुबानी भाग 2 (Chandan Rathore)

कुछ  साल  और  निकले  में  पढता  रहा  सब  मुझे  पढ़ाते  रहे
आ गया  वो  दिन  जिस   दिन  होना  था  माँ  से  दूर
सब  छोड़   गये  अकेले  कोई  नही  था   मेरे  पास
अकेले  ही  लड़ना  था  दुनिया  से
निकल  पड़ा  लड़ने  दुनिया  से

अब  में  खुद  निर्णय  लेने  लगा  दिल  से
कुछ   दुनिया  से  सिखा
कुछ  दुनिया  को  सिखाया
कई  गम  सहे  कई  गम  पिये

कुछ  दिन  अपने  ही  घर  में  टिफिन  भी  खाया
कुछ  दिन  अपने  देश  में  भी  होटल  पे  खाया
जिन्दगी  में  गमो  ने  जेसे  घर   ही  बना   लिया  था
रोता  अकेले  में  पर  कोई  आंसू    पोछने  वाला  ना  था

ऊधार   जेसे  मेरे  सर  पे  हो  दुनिया   का  ऐसा    लगने  लगा  था
धीरे  धीरे  वो  दिन  भी  निकले
वो  तो  करम  थे  मेरे  पिछले
हर  गम  मुझे  कुछ  ना   कुछ  सिखा  के  गया
हर  गम  मुझे  एक  सीडी  ऊपर  चढ़ा   के  गया

वो  गम  ना  होते  आज  में  ऐसा  ना  होता
ना  में  कुछ   बन  पाता  ना  कुछ   मुझे  मिल  पाता
गमो  ने  नोकरी  करना  भी  सिखाया
3 महीने  फ्री  फिर  600 फिर  6 महीने  1200 में  किया  मेने  काम
फिर  उदयपुर    आके   मेने  किया  अपना  नाम

काम  और  पढाई  दोनों  किया   मेने  साथ -साथ
और  परीक्षा   से  भी  किये   मेने  दो  -दो  हाथ
पर  गम  तो  हमेशा  साथ  ही  रहा
धीरे  धीरे   गम  ने  लिखना  सिखाया
जिसको  समझाना   था  उसको  कुछ   समझा   ना  पाया
लिखता  रहा  दिल  से  अपने  अरमानो  को
उतारता  रहा  कागजो  पे   अपने  जख्मो   को
हँसकर  निकालता   रहा  अपने  गमो   को

"मेरी  जिन्दगी  एक  कहानी  हे
में  उसका  वो  मेरी  दीवानी  हे
केसे  करू  साकार  मेरा  हर  एक  सपना
बस  छोटी  सी  मेरी  जिंदगानी  हे "
बस  इसी  तरह   जी  रहा अपनी जिन्दगी  को


आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)

12:02 am,Tue 20-11-2012 

_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_

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