आज आया में दुनिया में
आज देखा मेने ये संसार
बड़ा ही प्यारा बड़ा ही सुन्दर हे ये संसार
माँ ने मुझे अपने गले से लगाया
उसने मुझे आज अपना बताया
डॉ. ने मेरे पापा को बुलाया
उन्होंने मुझे गोदी में उठाया
दो दिन बाद में अपने घर आया
कुछ दिन बीते धीरे धीरे में बड़ा हुआ
सब के दिल को में भाने लगा
में अपनी ही धुन में बड़ा होने लगा
कोई मुझे नही समझता
में रोता चिल्लाता पर
किसी को समझ में ना आता
कुछ दर्द कुछ खुशी में
केसे बताऊ सब को में
इस दुनिया में क्यों आया
माँ सोते सोते कमर दर्द करती हे
और में बहुत परेशान करता हु ये माँ कहती हे
मुझे भूख लगे तो में केसे बताऊ
मुझे प्यास लगे तो में दूध केसे मंगू
माँ मुझे गोदी में उठा लो
माँ मुझे दुध पिला दो
में भूखा हु कुछ खिला दो
में भी आप के जेसे संगर्ष करना चाहता हु
में भाई के जेसे चलना चाहता हु
में दीदी के जेसे पढना चाहता हु
में पापा के जेसे बनना चाहता हु
माँ तुम्हारे अलावा मेरी कोई नही सुनता
माँ तुम्हारे अलावा मेरी जुबा कोई नही समझता
आज में छ: महीने का हुआ
आज मेने पहली बार पानी पिया
अब तो मुझे दीखता भी हे
आते जाते लोगो को में देख के हस्ता भी हु
धीरे धीरे दिन निकले में सब का चहिता होने लगा
अब में धीरे धीरे अपने
पेरो को घसीट ते हुए चलने लगा
जो दिखता मुझे सब को लेने के लिए दोड़ने लगा
पर मेरे हाथ इतने मजबूत ना थे
सब को समेटना मेरे बस में कहा थे
अब में एक साल का हुआ
अब में कुछ समझने भी लगा
जो देखू लोगो को वेसा करने लगा
धीरे धीरे साल दर साल निकले
आज माँ ने पहली बार स्कुल भेजा
सब नया नया सा था कोई अपना नही सब पराये थे
आज मुझे सब कुछ ना कुछ सिखा रहे थे
हम भी बड़ी जल्दी सीखे जा रहे थे
निकले और साल हमने जाना दुनिया का हाल
करता रहा दुनिया की जय जय कार
पर आज पता चलता हे की सब हे बेकार
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़
(Facebook,PoemOcean,Google+,Twitter,Udaipur Talents)
10:11 am
3/11/012
आज देखा मेने ये संसार
बड़ा ही प्यारा बड़ा ही सुन्दर हे ये संसार
माँ ने मुझे अपने गले से लगाया
उसने मुझे आज अपना बताया
डॉ. ने मेरे पापा को बुलाया
उन्होंने मुझे गोदी में उठाया
दो दिन बाद में अपने घर आया
कुछ दिन बीते धीरे धीरे में बड़ा हुआ
सब के दिल को में भाने लगा
में अपनी ही धुन में बड़ा होने लगा
कोई मुझे नही समझता
में रोता चिल्लाता पर
किसी को समझ में ना आता
कुछ दर्द कुछ खुशी में
केसे बताऊ सब को में
इस दुनिया में क्यों आया
माँ सोते सोते कमर दर्द करती हे
और में बहुत परेशान करता हु ये माँ कहती हे
मुझे भूख लगे तो में केसे बताऊ
मुझे प्यास लगे तो में दूध केसे मंगू
माँ मुझे गोदी में उठा लो
माँ मुझे दुध पिला दो
में भूखा हु कुछ खिला दो
में भी आप के जेसे संगर्ष करना चाहता हु
में भाई के जेसे चलना चाहता हु
में दीदी के जेसे पढना चाहता हु
में पापा के जेसे बनना चाहता हु
माँ तुम्हारे अलावा मेरी कोई नही सुनता
माँ तुम्हारे अलावा मेरी जुबा कोई नही समझता
आज में छ: महीने का हुआ
आज मेने पहली बार पानी पिया
अब तो मुझे दीखता भी हे
आते जाते लोगो को में देख के हस्ता भी हु
धीरे धीरे दिन निकले में सब का चहिता होने लगा
अब में धीरे धीरे अपने
पेरो को घसीट ते हुए चलने लगा
जो दिखता मुझे सब को लेने के लिए दोड़ने लगा
पर मेरे हाथ इतने मजबूत ना थे
सब को समेटना मेरे बस में कहा थे
अब में एक साल का हुआ
अब में कुछ समझने भी लगा
जो देखू लोगो को वेसा करने लगा
धीरे धीरे साल दर साल निकले
आज माँ ने पहली बार स्कुल भेजा
सब नया नया सा था कोई अपना नही सब पराये थे
आज मुझे सब कुछ ना कुछ सिखा रहे थे
हम भी बड़ी जल्दी सीखे जा रहे थे
निकले और साल हमने जाना दुनिया का हाल
करता रहा दुनिया की जय जय कार
पर आज पता चलता हे की सब हे बेकार
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़
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10:11 am
3/11/012
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