Thursday 18 July 2013

Wo Bhi Kya Gajab Thi (वो भी क्या गजब थी . . .) Poem No. 110 (Chandan Rathore)


Poem No. 110
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वो भी क्या गजब थी  . . .
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रो कर मेरे आंसुओ को पोंछा  उसने
हंसकर उसके गमो को छुपाया उसने
मेरी आहट ने खूब रुलाया उसको
जब गया अलविदा कह कर
मेरी याद में दिया जलाया उसने

इतनी कमजोर ना थी माशूका मेरी
मेरी याद में हर पल मुझे बुलाया उसने
पानी भरने जब लगती खुला छोड़ देती नल को
रोटी बनाते बनाते कई बार हाथ जलाया उसने

याद में मेरी वो नहाती थी
क्लास में बेठी बेठी कई खो जाती  थी
मेरे प्यार के खातिर अपने सफ़र को भूल जाती थी
याद है मुझे कई बार 2-4  स्टेशन आगे पंहुच जाती थी  

ऐसी दिल की रूसवाईया क्या होगी
उसकी आंसर शिट पे नाम मेरा लिख देती थी  

गजब प्यार था उसका
खुशनुमा अंदाज था उसका
वो हँसते हँसते मेरे लिए रो देती थी 

वो भी क्या गजब थी  . .. .

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (Rathoreorg20)

07:42 AM 06/06/2013

_▂▃▅▇█▓▒░ Chandan Rathore (Official) ░▒▓█▇▅▃▂_

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