Thursday 7 August 2014

Tu Kar Ibadat ( तू कर इबादत ) POEM No. 180 (Chandan Rathore)


POEM No. 180
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तू कर इबादत
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तू कर इबादत मेरी लाश को कुत्ते खाए
लगा कर मुँह पे खून मेरा वो तेरे पास आये

तू कर आज इबादत मेरी अर्थी जल्द ही सज जाए
नुरे नजर इतेफाक से तेरा निकाह उसी दिन हो जाए

तू कर तेरे आका से रहमते तेरी रूह की
मै करू सजका अल्लाह का और मेरी रूह भी तेरी हो जाए

तू कलमा पढ़े तेरे शौहर का की उससे कोई गुनाह ना हो जाए
मेरी दुवा अगर उससे कोई गुनाह हो तो सजा-ऐ-मोैत मुझे आ जाए

मुहोबत-ऐ-सुकून की मांगी थी मुराद मेने
तुमने मेरी जोली में रख दी नूरानी जायदात

तू कर इबादत की अगली सांस ना लू मै
अगर लू तो बस तेरा ही नाम मेरे लबो पे आये

इश्क़ प्यार तो रब की जायदात है
तू कर इबादत मेरी लाश को भी प्यार ना मिले
या रब उसकी सुनना मरने से पहले ही सारे जज्बात मुझे मिल जाए

तू कर इबादत मुझे कब्र की भी जगह ना मिले
मान जाए खुदा तेरी दुवा तो तेरे साथ कब्र भी मिल जाए

तू कर आज इबादत की मै खुशियों के लिए रोऊ
सुन ले खुदा तो हम तुम्हारे दामन में फुट-फुट के आँसू बहायें  

तू कर ले लाख कोशिस खुदा को मनाने की
मान जाए वो खुदा तो मुझे मोैत आ जाये

होश नही है मुझको की क्या लिखा और क्या पढ़ रहा हूँ मै
बस तू इबादत कर मोला से ......
बस तू इबादत कर मोला से ......


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

06:47pm, Wed 08-01-2014 
(#Rathoreorg20)
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