Wednesday 30 July 2014

Navvarsh 2014 ( नववर्ष 2014) POEM No. 179 (Chandan Rathore)


POEM No. 179
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नववर्ष 2014
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नव दीपों की नव लोह जल रही है नयारी
जो सब आज यहाँ उपस्थित है उनका मै बहुत आभारी

कह रही समय की चिड़ियाँ बारी-बारी
अब 2013  तो  गया अब 2014  की बारी

कट गए या काटे गए थे वो पल
आ निकले फिर भी जैसे फूलों की हो क्यारी

मन की गति आज समय से भारी
उत्पीड़ा,वैराग्य से निकल गई एक और  हमारी

आज शुभ दिन है नववर्ष का करेंगे नई आज बात
भूल जाओंगे आप सब मुझे भी 2013 की तरह (2)
रह जायेंगी बस मेरी याद

2013  तो तेरा था अपना कुछ नही हाथ
2014 की गिनती तो देखो आते ही दे दिया साथ

भूल कर पिछली भूलो को आज करे नई शुरुवात
आओ मिलकर हम सब करे नववर्ष का नया आगाज

आओ सब मिलकर करते है 2013  की आज अंतिम विदाई
सब को राठौड़ की तरफ से नववर्ष की कोटि-कोटि बधाई 

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

8:52 PM 30/12/2013 
(#Rathoreorg20)
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