Thursday 9 May 2013

Jindgi ka Khalipan (जिन्दगी का खालीपन) POEM no. 94 (Chandan Rathore)



Poem No.94
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जिन्दगी का खालीपन
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जैसे बिना पानी के नाली हो
जैसे बिना भोजन के थाली हो

जैसे बिना महफ़िल के ताली हो
जैसे बिन पठाखा दिवाली हो

जैसे बिना घर के घरवाली हो
जैसे दुल्हन कोई नखरेवाली हो

जैसे बिना शादी के साली हो
जैसे भरी महफ़िल में गिलास खाली हो

जैसे सूखे में ख़त्म हुआ पानी हो
जैसे पतझड़ में सुखी पेड़ की डाली हो

जैसे राजस्थान without पाली हो
जैसे उदयपुर बिना हरियाली हो

कब तक जियेंगे ऐसी जिन्दगी
जिसमे सब होते हुए भी वो खाली हो

आपका शुभचिंतक
लेखक : - चन्दन राठौड़

_▂▃▅▇█▓▒░ Chandan Rathore (Official) ░▒▓█▇▅▃▂_

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