Saturday 11 May 2013

MAA TUJHE SALAM (माँ तुझे सलाम . . .) Poem No. 97 (Chandan Rathore)


POEM No. 97
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माँ तुझे सलाम
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जो मुझे उठा कर आसमान की सेर कराती
मुझे देख कर उसके होटों  पे मुस्कान हैं  आती
मै जब लोटता हूँ शहर से तो मुझे देख आंसू बहाती
हर दम खुदा से मेरे लिए दुआँ  जो करती

मेरे लिए दुनिया से वो भीड़ जाती
हमेशा  वो मेरे आगे चलकर मेरे हिस्से के आंसू बहाती
जब खेलती है मेरे साथ तो खुद बच्चा बन जाती
जब होता हूँ  उसके साथ तो मुझे हर ख़ुशी  वो दे जाती

आज अकेला हूँ मैं फिर भी उसकी दुआँ  है साथ मेरे
मैं कभी पीछे ना हटा हूँ क्यों की उसका आशीर्वाद साथ है मेरे
आज दिन है मातृ दिवस , याद कर लो अपनी माता को
आज अगर वो ना होती तो ,कैसे याद करते अपनी माता को

बचपन  में माँ  ने कितने दुःख जेले अपने लिए याद नहीं होंगे  किसी को
पेट में मारी होगी कितनी लाते , उसे भी ख़ुशी-ख़ुशी सह जाती थी माँ
जब करते थे गिला बिस्तर उसे अपने हाथों से धोती और सुखाती थी माँ
जाना होता स्कुल तुझे और 5 बजे  उठ जाती माँ
कोई चीज  अगर तेरी घूम हो जाती तुम खूब चिल्लाते  अपनी माँ पे
चुप-चाप सह जाती माँ

बड़ा हुआ काबिल  बना तुमने बाहरी दुनिया में मन लगाया तुम खुश पर अकेले में आंसू  बहाती माँ
शादी  हुई बहु आई कितनी खुश थी माँ , आज बेटे के तेवर देख सहम जाती माँ

माँ ना जाने  किस पत्थर से बनाई  है भगवान  ने
कितना  कुछ   सहती है फिर भी हर दम मुस्कुराती है माँ

माँ तुम हमेशा हंसती  रहना
माँ तेरे जैसी  मुझे भी सहन सकती देना
माँ बस तुम खुश रहना
माँ बस तुम खुश रहना

विश्व मातृ दिवस की ढेरो  बधाई

आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़
(Facebook,PoemOcean,Google+,Twitter,Udaipur Talents, Jagran Junction)

 8:25 AM 12/05/2013
_▂▃▅▇█▓▒░ Chandan Rathore (Official) ░▒▓█▇▅▃▂_

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