Poem No.92
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बस काफी हैं . . .
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तेरी नफरते ही हमारी सोहरते हैं,अब क्या मांगे तुझसे
तेरी एक मुस्कुराहट ही काफी हैं ,हमसे दूर होने को
तेरा heat (नफरत) ही काफी हैं हमसे प्यार करने को
आप की ना ही काफी हैं हमको ख़ुशी देने को
आप हमसे नफरत करते जाए
वो ही काफी हैं हमारी मदद करने को
आप की बातों में मज़ा आँखों में नशा
सरारतों में अदा, ना बोल कर तडपाने की सजा
हँसकर हमें मनाने की वजा
रोते हुए छोड़ कर जाने की अदा
काफी हैं हमें घायल करने को
जिद बहुत कर ली मैने , अब कोई रास्ता भी नहीं बचा
आँखों के झरोखे सुख गये अब कोई वजह नहीं हैं हँसने को
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़
4:08 PM 01/05/2013
_▂▃▅▇█▓▒░ Chandan Rathore (Official) ░▒▓█▇▅▃▂_
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