POEM No.93
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अब ना रहना ...
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ओ मेरे खुद उठा ले
अब ना रहना मुझे इस धरा पे
कैसे जिऊ कैसे मैं काटु अपना जीवन
ऐ खुदा तू बुला ले
अब ना रहना . . .
अब ना रहना . . .
होता है यहाँ पे नारियों का अपमान
उसकी लज्जा तो बचती नहीं
अब तो बच्ची भी सुरक्षित नहीं हे ! भगवान
सुन ले मेरी एक फरमाइश ऐ खुदा
तू बुला ले ....
तू बुला ले ....
कितना दर्द देता है तू जहाँ
मिलता नहीं है किसी को इंसाफ
सुन ले जरा तू मेरी ये दुहाई
सुला दे मुझे . . .
सुला दे मुझे . . .
अब ना रहना इस धरा पे
क्या चाहता है तू ऐ खुदा
क्यों जुल्म दिखा रहा ऐ खुदा
ऐ खुदा पत्थर दिल ही बना देता
तो किसी का दर्द अपना ना लगता
अब दे दे रिहाई इस जालिम शरीर से
मुझे अब ना रहना इस धरा पर
मुझे अब ना रहना इस धरा पर
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अब ना रहना ...
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ओ मेरे खुद उठा ले
अब ना रहना मुझे इस धरा पे
कैसे जिऊ कैसे मैं काटु अपना जीवन
ऐ खुदा तू बुला ले
अब ना रहना . . .
अब ना रहना . . .
होता है यहाँ पे नारियों का अपमान
उसकी लज्जा तो बचती नहीं
अब तो बच्ची भी सुरक्षित नहीं हे ! भगवान
सुन ले मेरी एक फरमाइश ऐ खुदा
तू बुला ले ....
तू बुला ले ....
कितना दर्द देता है तू जहाँ
मिलता नहीं है किसी को इंसाफ
सुन ले जरा तू मेरी ये दुहाई
सुला दे मुझे . . .
सुला दे मुझे . . .
अब ना रहना इस धरा पे
क्या चाहता है तू ऐ खुदा
क्यों जुल्म दिखा रहा ऐ खुदा
ऐ खुदा पत्थर दिल ही बना देता
तो किसी का दर्द अपना ना लगता
अब दे दे रिहाई इस जालिम शरीर से
मुझे अब ना रहना इस धरा पर
मुझे अब ना रहना इस धरा पर
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़
5:30 PM 03/05/2013
_▂▃▅▇█▓▒░ Chandan Rathore (Official) ░▒▓█▇▅▃▂_
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