तेरे ख्यालों की जुगल बंदी में
तेरे अल्फाजों की बंदिशों में
शुरूवात-ऐ-मोहोब्बत जब खत्म हुई
जब मेरी जगह नहीं थी तुम्हारे दिल में
तुम जाओंगे ना एक दिन
तुम मुझे भुलोंगे ना एक दिन
मै कैसे पुकारूँगा तुम्हें
जब मेरे दिल को चीरते हुए निकल जाओंगे ना एक दिन
अपने प्यार का रंग चढ़ा हैं
खाली मुझ पे वो चढ़ा हैं
खाली सी होली खाली सी दिवाली हैं
तेरे बिना अब कैसी मेरी जिंदगानी हैं
लग जायेंगी सावन की जड़ीयां
गिर जायेंगे पेड़ों से सारे पत्ते
जब तुम मुझेसे बिछड़ जाओंगे
तुम बहुत पछताओंगे जब मुझे
मौत के घाट तुम उतार दोगीं
तेरे अल्फाजों की बंदिशों में
शुरूवात-ऐ-मोहोब्बत जब खत्म हुई
जब मेरी जगह नहीं थी तुम्हारे दिल में
तुम जाओंगे ना एक दिन
तुम मुझे भुलोंगे ना एक दिन
मै कैसे पुकारूँगा तुम्हें
जब मेरे दिल को चीरते हुए निकल जाओंगे ना एक दिन
अपने प्यार का रंग चढ़ा हैं
खाली मुझ पे वो चढ़ा हैं
खाली सी होली खाली सी दिवाली हैं
तेरे बिना अब कैसी मेरी जिंदगानी हैं
लग जायेंगी सावन की जड़ीयां
गिर जायेंगे पेड़ों से सारे पत्ते
जब तुम मुझेसे बिछड़ जाओंगे
तुम बहुत पछताओंगे जब मुझे
मौत के घाट तुम उतार दोगीं
क्यों एक दिन जलाओंगे ना मुझे
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)
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