Poem No.121
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दिल भर आया होगा
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थाम कर ऊँगली जिसे चलाया होगा
आज जब दिखाई उसने ऊँगली तो दिल भर आया होगा
खुद जोकर बन जिसे जोर जोर से हँसाया होगा
आज जब उसने रुलाया तो उनका दिल भर आया होगा
बचपन से जिसे पलकों पे बिठाया होगा
आज उन बचपन की यादो ने क्या खूब रुलाया होगा
जिसके पैरों में फुल बिछे रहते हर पल
आज जब उसने शब्दों का बाण चलाया तो दिल भर आया होगा
कंधे पे बिठा कर जिसे पूरा जहाँ दिखाया होगा
आज खुद को अकेला पाकर
उनका दिल भर आया होगा
हर मुश्किलों को खुद सहन कर उसे मंजिल तक पहुँचाया होगा
ऐ ! खुदा आज उसकी कामियाबी ने उनको क्या खूब रुलाया होगा
जिसने उसे बोलना सिखाया होगा
जिसने उसे रोते हुए हँसाया होगा
आज जब बोला वो अश्कों की बारिश हो रही थी
आज फिर बिन मोसम सावन आया होगा
आज फिर बिन मोसम सावन आया होगा
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दिल भर आया होगा
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थाम कर ऊँगली जिसे चलाया होगा
आज जब दिखाई उसने ऊँगली तो दिल भर आया होगा
खुद जोकर बन जिसे जोर जोर से हँसाया होगा
आज जब उसने रुलाया तो उनका दिल भर आया होगा
बचपन से जिसे पलकों पे बिठाया होगा
आज उन बचपन की यादो ने क्या खूब रुलाया होगा
जिसके पैरों में फुल बिछे रहते हर पल
आज जब उसने शब्दों का बाण चलाया तो दिल भर आया होगा
कंधे पे बिठा कर जिसे पूरा जहाँ दिखाया होगा
आज खुद को अकेला पाकर
उनका दिल भर आया होगा
हर मुश्किलों को खुद सहन कर उसे मंजिल तक पहुँचाया होगा
ऐ ! खुदा आज उसकी कामियाबी ने उनको क्या खूब रुलाया होगा
जिसने उसे बोलना सिखाया होगा
जिसने उसे रोते हुए हँसाया होगा
आज जब बोला वो अश्कों की बारिश हो रही थी
आज फिर बिन मोसम सावन आया होगा
आज फिर बिन मोसम सावन आया होगा
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)
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