POEM NO. 116
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23 जन्म-दिवस
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बधाईया भी कोई खास नही
आज नया कोई ऊलास नही
कट रही शांत ये जिन्दगी
उसमे कोई नई बात नही
चुप हूँ आज कोई नई तमन्ना नही
ख्याल बहुत है पर कोई अरमान नही
गुमनाम हो रही जिन्दगी मेरी
नई उमंगो का कोई उसमे सेलाब नही
पानी की तरह बह रही है जिन्दगी
पर उसमे कोई उबाल नही
अकेला नही हूँ पर महशुस करता हूँ अकेला
दोस्तों की भीड़ है बहुत पर उसमे कोई साथी नही
बेइन्तिहा महोबत थी दुनिया वालों से
आज लोगों की भीड़ से वो प्यार नहीं
अकेला रहना चाहता हूँ मै
अब तुमसे कोई एतबार नहीं
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)
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