Poem No.120
-----------------
ऐसे जाओ ना तुम
---------------
अभी जाओ ना तुम
इतना सताओ ना तुम
हिम्मत रखो और बढ़ो
साथ को अधुरा छोड़ो ना तुम
मुझे हँसाते थे तुम
मेरे हर दुःख का हिस्सा बन जाते तुम
आज कैसी ये जुदाई दे रहे हो तुम
बीच राह में ऐसे छोड़ो ना तुम
तुम तो थे हमदम मेरे
कितनी उब्लाब्दियाँ थी तुमसे
कोन रखेगा ख्याल मेरा
अब ऐसे रुलाओ ना तुम
ख्यालों में तुम्हारे हर दम में था
फिर कैसी ये जुदाई को अपना रहे हो तुम
मै अकेला ना जी पाऊंगा इस जहाँ में
छोड़ कर जालीम दुनिया के भरोसे
ऐसे जाओ ना तुम
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)
No comments:
Post a Comment
आप के विचारो का स्वागत हें ..