POEM No. 113
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जब तक है जान भाग २
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लहर लहर लहरे पानी की वो लहरे
वो पानी की गहराई दोस्तों की दोस्ती के वो किस्से
वो यो यो का माहोल वो हँसी ख़ुशी के ठहाके
कभी भुला ना पायेगे हम
जब तक है जान जब तक है जान
वो उनका पानी से प्रेम
वो नहाने की उमंग
वो ट्यूब को डूबना
वो एक दूसरे को पानी के बीच में छोड़ के आना
हमेशा हँसते रहना
जब तक है जान जब तक है जान
वो दो सूखे पेड़ो की वादी
वो दूर तक पानी की रवानी
वो सड़ी-गली डिस्पोजल का देना
वो एक दूसरे पर पानी का फेकना
वो पल कभी ना भुलूंगा मै
जब तक है जान जब तक है जान
वो पहाडियों की वादियाँ
उनमे वो अकेले अकेले बाइक का चढ़ाना
वो ट्यूब के साथ मस्ती
हमेशा याद रखूँगा मै
जब तक है जान जब तक है जान
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)
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