Tuesday 25 November 2014

Anokhi Preet (अनोखी प्रीत) POEM NO. 202 (Chandan Rathore)


POEM NO. 202

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अनोखी प्रीत
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रीत अनोखी प्रीत सही
मन का अनोखा मित सही
बिन कहे अजुबा बन जाऊ
कई ऐसी गीत, संगीत सही

उमड़-घुमड़ बादल का साया
बिन परछाई कुछ समझ ना आया
रज-रज निहारु, नित आंसू पी जाऊ
आंसू की धार उसकी संगी सखी

एक राज, राज सही देखे बिन काज नही
हम अकेले कब तक भागेंगे जब आप का साथ नही
नजर भर देख लू
भले वो मुमताज नही
रीत अनोखी प्रीत सही
मन का अनोखा मित सही

काले कोयल सा मन लिए फिरू
सपनो की गढ़री मन में धरु
मन के काले पन को में पी जाऊ
भले ही उसमे मेरी मौत सही
रीत अनोखी प्रीत सही
मन का अनोखा मित सही



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

3:39 PM 16/03/2014
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂

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