POEM NO. 199
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तेरे बिन
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कही तो होगी वो नूरानी
बस होके प्रेम दीवानी
मदहोश होके राहों पे मेरी
गुम हो जायेगी उसकी इश्क़ की खुमारी
बिन उसके बरसते नही ये बादल
बिन उसके रंग नही है सावन में
बिन उसके खुशबु नही है फूलों में
अब तो आ जाओं मेरी उल्जी हुई पहेली
तुम्हे सुलजाने को भी कम है ये जिंदगानी
ऐतबार नही इस दुनिया से बिना तेरे सिवा
तू ख़्वाब ना बन जाए बस अकेला हूँ तेरे सिवा
मधु के जैसे मीठी बोली तुम्हारी
बड़ी सिद्दत से पालु जुदाई तुम्हारी
इतबार क्यों करती हो मुझसे बोलो तो सही
बिन तेरे ये आस्की,ये इश्क़, क्या बताओं तो सही
अब क्या क्या रो रो कर बताऊँ तुम्हें
तुम्हारे बिन ये जिंदगी सुनी सुनी ही सही
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
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05:01pm, Mon 17-02-2014
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