POEM No. 195
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दोहावली भाग 1
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साईं भरोसे राठौड़ है, साईं ही उसका पालन हारा
पुरे जग में है नाम साईं का , फिर तू क्यों फिरे मारा मारा || 1 ||
गुरु की वाणी बोलिए, गुरु करे सो ना कर
एक दिन तर जाएगा, गुरु कहे सो कर || 2 ||
प्रेम व्यवहार सब जूठ है, इन से मोह ना कर
मोह रखे सब तुझसे, ऐसा काम तू कर || 3 ||
शब्दों का तू तोल रख, शब्द बड़े अनमोल
बुरे शब्दों का कोई मोल नही , अच्छे शब्द ही तू बोल || 4 ||
बड़े जो आये पहले तो, बड़े ना कोई होय
काम करे जो बिन स्वार्थ के, बड़े वो जग में होय || 5 ||
अच्छी कला कलाकार की, बुरी कला सरकार की
तूने जो पहचान ली तो, फिर तुझे फ़िक्र किस बात की || 6 ||
मन में उमड़े भाव तेरे, लिखने मै तू दक्ष होय
हो रही वैरागी दुनिया, तू क्यों उनके लिए रोय || 7 ||
मनडी मटकी फूटे गई, मनडे में ना कोई समाय
अब समझ ले बात पते की, कुछ भी साथ ना जाय || 8 ||
मौत ना ढूंढे पाटनर, मरने वाला ना संग ले जाए
जी कर कुछ भी ना किया रे बंधे, अब मौत में क्यों समय लगाय || 9 ||
बिन काठी कट ना पायेगी, बिन काठ के कैसे तू मर पाये
काठ जले तो तू जले , वार्ना अध जला ही रह जाए || 10 ||
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
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02:48pm, Tue 04-02-2014
(#Rathoreorg20)
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