Sunday 2 November 2014

B L A C K ( अँधेरा ) POEM NO. 196 (Chandan Rathore)



 Poem no.196
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अँधेरा (B L A C K)
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बेकसूर सा रंग
कई उसमे उमंग
अँधेरे के संग
खुद में मलंग

काल का काला रंग
मिलों लम्बी सुरंग
बिना सुर का सारंग
गुमनाम सा स्वर्ग


इठलाता हुआ स्वांग
नशे से लुप्त भांग
जीत की हजारों तरंग
जिंदगी उसके बिना बेरंग

जीवन पे दाग
उजाले का सुहाग
काले रंग पे बेदाग़
अँधेरे में लगी जैसे आग

मुश्किलों में मुश्किल
सवालों में सजकता
अपने अंतर्मन में
जलता हुआ चिराग

बस ये ही है अँधेरे की कहानी
अँधेरा जीवन की मनमानी
बंद आँखों में फिर नई सोच
उछल-उछल कर दुनिया की खोज

बस मौत नही जीवन सही
अँधेरे  की खोज उजाला है
वो उस से मिला नही
एक एक कतरा कतरा है
अँधेरा बस अँधेरा है
अँधेरा बस अँधेरा है


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

05:42pm, Wed 05-02-2014
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂

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