Friday 19 December 2014

Armaan Jalte He (अरमान जलते है) POEM NO. 212 (Chandan Rathore)


POEM NO. 212
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अरमान जलते है
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कहती है सरकार हम किसी गरीब को भूखा नही सोने देंगे

खुशियाँ जलती है भूख बढ़ती है, लाचारी में बच्चों के हाथ जलते है
अरे !!!  नेताओं गरीबों के चूल्हे में तो  आज भी उसके अरमान जलते है

ख़ुशी नही दी तुमने तो दुःख क्यों बाटते हो
अरे !!! सरकार की अत्याचारी में गरीबों के शमशान जलते है

वोट मांगने आते घर घर फिर कही गायब हो जाते है
काम हो किसी इंसान के तो उसे इतना गुमाया जाता है
इतने चक्कर में गरीब के चप्पल तक घिस जाते है

ऐ सरकार हम राजा है हम तुम्हे चुनते है
तुम ये क्यों भूल जाते हो
हम नही होते तो तुम यहाँ नही होते
तुम ये क्यों भूल जाते हो
तुम्हारे सम्मान में गरीबों के सम्मान कई गुम हो जाते है

2 वक्त का खाना भी अब जहर सा लगता है
तुम्हारे इन हालातों को देख गरीब के आंसू तक रोते है
अरे !!! नेताओं गरीबों के चूल्हें में तो आज भी उसके अरमान जलते है


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

2:18 PM 22/04/2014
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂ 

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