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साथ होते तुम
साथ होते तुम
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ख़्वाबों की सीढ़ियों में कितनी कशिश है
महोबत की राहों में पता नही कितनी बंदिश है
अगर-मगर इधर-उधर बहता हूँ पानी की तरह
और एक महबूबा के इज़हार की आस की रंजिश है
दीवाने हो मेरे या मुझको बना रहे हो दीवाना
प्यार में अपने तुम्हारी कसम कितनी सादिसे है
महोबत की राहों में पता नही कितनी बंदिश है
अगर-मगर इधर-उधर बहता हूँ पानी की तरह
और एक महबूबा के इज़हार की आस की रंजिश है
दीवाने हो मेरे या मुझको बना रहे हो दीवाना
प्यार में अपने तुम्हारी कसम कितनी सादिसे है
हो मेरे या फिर हो किसी अनजान के जिंदगी के मांजी
सुन तो लो महोबत तुम्हारी कितनी बेखौफ सी है
रुक ना जाते किसी राह पे तो साथ होते तुम
मेरे हर राज के राज भी होते तुम
बोलता मै और मेरी आवाज होते तुम
कितने हसीं होते वो लम्हें प्यार के
जिन लम्हें में साथ होते तुम
आपका शुभचिंतक
1:01 PM 13/04/2014
सुन तो लो महोबत तुम्हारी कितनी बेखौफ सी है
रुक ना जाते किसी राह पे तो साथ होते तुम
मेरे हर राज के राज भी होते तुम
बोलता मै और मेरी आवाज होते तुम
कितने हसीं होते वो लम्हें प्यार के
जिन लम्हें में साथ होते तुम
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
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1:01 PM 13/04/2014
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