Saturday 7 September 2013

Lekhak Ek Vichar (लेखक एक विचार...) Poem No. 128 (Chandan Rathore)


POEM No. 128
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लेखक एक विचार...
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लेखक एक पत्थर
लेखक एक हीरा
लेखनी है हथियार
और अँधेरा उसका बसेरा

लेखनी उठा मुस्कुरा  रहा
कागज देख सर्मा रहा
लिख लिख देखों  कैसे इठला रहा
अपनी कविता लिख देखों सबको है सुना रहा

लेखक एक विचार
लेखनी  उसका विस्तार
लिखना उसकी शक्ति
शब्द उसके हुकार

बोल पड़े तो बोल पड़े
ना  बोले तो शब्द खड़े
सुन लेखनी की वाणी
कैसे शब्द उसके आपस में जुड़े

सूना रहा हूँ लेखक की कहानी
सुन लो मेरे यारों  शब्द है दुर्लब बड़े
विचारों में देख लेखक को सब बोले
"लेखक तो है शांत बड़े"

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

12:42am, Sat 20-07-2013
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂

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