POEM 130
------------
मौन शब्द मेरे
------------
चल पड़े रास्ते जब मेरा मुकाम आया
निकल गया वो काला बादल
जो हवाओं के साथ आया
ख़त्म हुआ खुशियों का मॉसम
आज जब उनसे हुआ सामना तो
गुजरा जमाना याद आया
खामोश वादियों में गुंजा करती थी बातें मेरी
आज उन बातों को हर किसी ने दबाया
मै नहीं तो मेरा जहाँ नहीं
ना मेरा ना मेरी बातों का कोई अब तक ठिकाना आया
उमड़ गुमड कर आते वो
ना वो मेरी, ना बचा मेरा साया
ऐ ! दुनिया रखले नजर मुझ पर कितनी
अगर बच गया तो तेरा
नही तो आखिर खुदा ने मुझे बुलाया
"ना अस्त्रों ना शस्त्रों से
लड़ाई होगी तो बस शब्दों से
एक वो ही जो कुछ कहते नहीं
जिन्हें लिख लिख खूब आसूं बहाया
जिन्हें लिख लिख खूब आसूं बहाया"
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)
No comments:
Post a Comment
आप के विचारो का स्वागत हें ..