Poem No. 124
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ये प्यार में क्यों होता है 
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थोड़ी सी ख़ुशी और ढेरों गम 
थोड़ी सी मिठास फिर बची चिविन्गम  
हंसी  ख़ुशी  फिर वो जुदाई का आलम 
हम अकेले और खुश  हमारी बेगम 
तोड़ दिए हमारे सपने और भूल गया हमारा सनम  
दु:ख के आलम में बाकि बचे अकेले हम 
कैसा ये खाली खाली ये समां 
बुझा दी उन्होंने हँसते हँसते हमारी समां 
खामोश ना रहो अब हमसे 
ये बता दो ये प्यार में क्यों होता है 
ये प्यार में क्यों होता है 
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)
 
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