POEM NO. 144
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कैसा गम दिया तूने
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कैसे किया रुसवा तूने
ये कैसा गम दिया तूने
हँसता भी हूँ तो आंशु निकल आते है
ये कैसा जख्म दिया तूने
तेरा नाम कभी जब आता है
मेरा सारा जहाँ शोक में डूब जाता है
मै सोच में डूब जाता हूँ तेरी सोच में
ये क्या किया तूने
कितना भी व्यस्त क्यों ना हूँ मै
तुम भुलायें नही भूले जाते
तुम्हारी परछाई जब जहन में आती है
मै थम सा जाता हूँ , मै थम सा जाता हूँ
ये कैसा गम दिया तूने
तुझसे दूर जब जाता हूँ
बिन खोये मे खो जाता हूँ
इन आंशुओ के मोती को
कैसे बर्बाद करवा दिया तूने
ये कैसा गम दिया तूने
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)
8:16 AM 01/09/2013
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_
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