POEM No. 139
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तेरी याद दिल से जाती नहीं
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तेरी याद दिल से जाती नहीं
तू है इतनी बेरहम कि आती नहीं
मेरे ख्यालों कि हर वादियों में तुम ही तो
बस अब प्यार में नई किरण नजर आती नहीं
तू दिल को तोड़ शायद खुश होगा
पर मेरी खेर-खबर किसी ने ली नहीं
मुझे भूलना था तुझे
पर तेरी याद है कि दिल से जाती नहीं
मेरे जिस्म कि हर रूह तुझे बुलाती है
तू इतना खुदगर्ज है कि मुझे समझाती नहीं
तेरी याद दिल से जाती नहीं
खामोशियों में बीत जाते है हर लम्हें मेरे
सब है उजाले में रहते
अँधेरे में किसी ने आवाज लगाई नहीं
तेरी याद दिल से जाती नहीं
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़ (#Rathoreorg20)
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