-----------
फासले
--------------
इन मिलो के फासलों को कैसे कम करू
हो रही है शाम खुशियों की इस शाम को कैसे खुश करू
देखता हूँ मै जब तेरी सूरत को
चला जाता हूँ मै मीलों दूर
सूरज को पकड़ ना पाता हूँ
पर चाँद से दूरी कैसे कम करू
छोड़ दिया तुझे भूल भी गया तुझे
पर तेरी इन यादों को कैसे कम करू
तुझे माना मेने अपना सब कुछ
अब तू ही तो बता तुझसे फासला कैसे करू
हो रही है शाम खुशियों की इस शाम को कैसे खुश करू
ये सारी हवाएँ आती है मेरी ओर
मै किस किस हवा से सामना करूदेखता हूँ मै जब तेरी सूरत को
चला जाता हूँ मै मीलों दूर
सूरज को पकड़ ना पाता हूँ
पर चाँद से दूरी कैसे कम करू
छोड़ दिया तुझे भूल भी गया तुझे
पर तेरी इन यादों को कैसे कम करू
तुझे माना मेने अपना सब कुछ
अब तू ही तो बता तुझसे फासला कैसे करू
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
(Facebook,Poem Ocean,Google+,Twitter,Udaipur Talents, Jagran Junction , You tube , Sound Cloud ,hindi sahitya,Poem Network)
2:51 PM 01/02/2014
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂
No comments:
Post a Comment
आप के विचारो का स्वागत हें ..