POEM NO. 191
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पूछो ना मेरा हाल
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तुम पूछो ना मेरा हाल मै ठीक हूँ
तुम करो ना मेरी परवाह मै मस्त हूँ
तुम भरी महफ़िल में छोड़ के गई
फिर भी तेरी याद के साथ जिन्दा हूँ
तुम भूल जाओ मगर मै कैसे भुलु तुम्हें
तुम मेरी रूह-रूह में बसी हो ये तुम्हें क्यों कहु
मै दीवाना तू बेगानी, मै परवाना तू अंजानी
मै शायर सही तू मेरी शायरी, चला जीने पर तू ही तो मेरी जिंदगानी
सोच रही होगी ना आज फिर तेरी याद मेरे जहन में क्यों आई
ओ!!! परवानी पूछा ना हाल मेरा मै तो अभी भी जिन्दा हूँ
जीना मुझे आता नही, मरना मै चाहता नही
अब तू ही बता मै कैसा हूँ
पूछो ना मेरा हाल मै तो बस तेरे लिए जिन्दा हूँ
बस तेरे लिए जिन्दा हूँ
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
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11:54 AM 03/02/2014
(#Rathoreorg20)
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